रायपुर (आई.बी.एन -24) छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर राज्योत्सव मेला के समीप तुता में धरना स्थल बनाया गया है! जहां पर जल संकट, स्वास्थ्य संकट, और शौंचालय संकट के झेल रहे है इसी बीच में सांपो के भय से वन विभाग के दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी त्रस्त है पूर्व में हड़ताली कर्मचारी को सर्प काट दिया था उसके बाद भी शासन प्रशासन कोई सुध नही लिया जा रहा है, न ही हमारे छत्तीसगढ़ीया वन मंत्री जी ध्यान दे रहे है न अधिकारी तीन तीन दैनिक वेतन भोगी का निधन हो चुका है! उसके बाद भी विभाग के अधिकारी हल्के में ले रहे है और दमनकारी नीति अपनाते हुये जगह जगह कार्य से पृथक किये जाने का आदेश जारी कर रहे है,
आज रात्री को हड़ताली कर्मचारी सो रहे थे उस स्थल में जहरीले करायत सांप फिर घुंंस गया, उसके पहले तो एक हड़ताली कर्मचारी को काट हि दिया था जिसका ईलाज सही समय में करा दिया तो बंच गया, आज फिर सांप का लगातार धरना स्थल पहुंचना सहीं नही है अगर किसी भी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के सांथ घटना घटीत होता है तो इसके लिये शासन, प्रशासन, और विभाग के आलाधिकारी जिम्मेदार होगा !
बिलासपुर सर्किल के अंतर्गत 9 वन मंडल है जिसमें 1,3,27 दैनिक वेतन भोगी बड़ी मजबुर हो चुके है एक तरफ संगठन के सदस्य होने के नाते संगठन के हड़ताल में सामिल हो रहे है तो वही दुसरी तरफ अधिकारी दमनकारी नीति अपनाते हुए कार्य से पृथक किये जाने का धमकी दिया जा रहा है, गुलामी कराने के लिये प्रताड़ित किया जा रहा है!
रायपुर में जितने भी अधिकारी है दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों इतना डराकर रख दिये है दहसत में डाल दिये है कि बंगला से निकल नही पा रहे है! अगर ये दैनिक वेतन भोगी बंगला से निकलेगा तो अधिकारियों के यहां न पानी पिलाने वाला रहेगा न खाना बनाने व खिलाने वाला इसलिये दमनकारी नीति अपनाया जा रहा है और हड़ताल में सामिल नही होने के लिये दबाव बनाया गया है!
दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी 47 दिनो से हड़ताल में डंटे है शासन प्रशासन के द्वारा किसी भी प्रकार का निर्णय नही लिया जा रहा है जबकी यह मांग कैबिनेट का मामला नही है यह जो 09 सूत्रिय मांग है जिसमें 08 मांग स्वयं वन मंत्री जी पुरा कर सकता है उनके अधिकार क्षेत्र का मामला है वन मंत्री जी स्वयं पुरा कर सकता है लेकिन वन मंत्री जी के द्वारा निर्णय नही लेना समझ से परे है वो क्यों नही चाह रहा है कि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों का भला हो!
छत्तीसगढ़ अन्य पिछड़ा वर्ग संगठन के प्रदेशाध्यक्ष सुरज निर्मलकर ,छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के धरना स्थल में उपस्थित होकर अपना समर्थन दिया और कहा कि यह मांग जल्द पुरा करें इसके लिये मैं मुख्य मंत्री जी से मिलकर मांग को तत्काल पहल करने के लिये बात करुंगा, अगर आप लोगों के मांग को जल्द पुरा नही किया जायेगा तो छत्तीसगढ़ अन्य पिछड़ा वर्ग संगठन आपके जायज मांगो के समर्थन में मैदान में उतरेगा हड़ताल में सांथ देगा !
छत्तीसगढ़ दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों ने अपनी 09 सूत्रीय मांगो को लेकर कैबिनेट के सभी मंत्री व विधायकों से मिलकर निवेदन कर चुके है! वित्त मंत्री ओ. पी. चौधरी जी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि कार्य़भारित आकस्मिकता निधि व स्थायीकरण के प्रस्ताव अगर वन मंत्री मेरे पास भेजते है तो मैं राशि देने के लिये तैयार हुं हम ये दोनो मांग दे सकते है कहा गया है!
कार्यभारित आकस्मिकता निधि केवल कुछ गिने चुने वर्स डिपार्टमेंट में लागु होता है जिसमें वन विभाग भी सामिल है इसलिये वन विभाग में लागु किये जाने का मांग कर रहे है हड़ताली कर्मचारी, हड़ताली कर्मचारियों ने बताया कि सरकार व हमारे विभाग के अधिकारी जब तक कार्यभारित आकस्मिकता निधि सेवा नियम एवं स्थायीकरण के मांग को पुरा नही करेगा तब तक तुता धरना स्थल से नही हटेंगें कह रहे है इस परिस्थिति में वन मंत्री, अपर मुख्य सचिव वन विभाग, प्रधान मुख्य वन संरक्षक को इनके दो मांग को पुरा कर देना चाहिये जो हड़ताली कर्मचारी मांग कर रहे है!
प्रदेश उपाध्यक्ष शुभम जायसवाल, गीरधर जैन, अरविंद वर्मा ने बताया कि अब
दैनिक वेतन भोगियों ने ठान लिया है कि हमारे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के बलिदान को व्यर्थ जाने नही देंगें, लिखित आदेश लेकर ही घर वापसी करेंगें !