
संवाददाता-मंगलम महंत |
हरदीबाजार(आई.बी.एन-24)यह की पिछले रविवार को पाली, पडनिया, खोड़री,रिस्दी,चुरैल,आमगांव, सोनपुरी, चंद्रनगर, खैरभवना के एस.ई.सी.एल कुसमुंडा से प्रताडित भू-विस्थापित के द्वारा एक दिवसिय किसान महासम्मेलन का आयोजन किया गया था,कार्यक्रम मे विधायक कटघोरा क्षेत्र के माननिय प्रेम चंद पटेल,नगर पालिका नगर निगम के सभापति माननिय नूतन सिंह ठाकुर,माननीय हरीश परशाई,जिला पंचायत सदस्य विनोद यादव,एवं कटघोरा कोरबा ब्लॉक के जनप्रति निधि गण समेत दिल्ली और मुंबई से आए हुए भारत सरकार के विधि विद विभाग के पद मे गणमान्य सर्वोच्च न्यायालय,उच्च न्यायालय,जिला न्यायालय के सेवा निवृत्त सम्मानीय श्रीमान भगवान जी रैय्यानी चेयरमैन फ़ोरम फ़ार फ़ास्ट न्यायमूर्ति मुंबई,एवं माननिय श्रीमान प्रवीण पटेल जी राष्ट्रीय जनरल सेक्रेटरी नेशनल फेडरेशन ऑफ सोसायटी फ़ार जस्टिस दिल्ली के द्वारा नागरीकता आम जनता के मौलिक अधिकार एवं संवैधानिक अधिकार कानून व्यवस्था पर विस्तार पूर्वक जानकरी दिया गया,न्यायमूर्तियो के द्वारा भू-विस्थापितो पर अन्याय पूर्ण व्यव्हार पर एस.ई.सी.एल.के भेद भाव रवैये की पूर्ण निंदा किये हैं,उन्होने एस.ई.सी.एल.के नियम कानून पारदर्शी नही होने की बात कही,एस.ई.सी.एल.सन्न 1991की मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति को दर्किनार कर प्रबंधन के द्वारा अपना नियम कानून बनाकर बलपूर्वक लागू करवाने की बात व्यक्त की,छत्तीसगढ़ में सन्न 2012 का भू-अधिकार के तहत भूमि अधिग्रहण मौजा का 4गुना नहीं दिया जाना पाया जा रहा है,छत्तीसगढ का जिला कोरबा पंचवी अनुसूची मे दर्ज है इसका कोई प्रकार का लाभ किसी आम जन को नहीं मिल पाया है,ज़मीन के नीचे जो भी मिल्कत खनिज पदार्थ है वह उसका मालिक भूमि का असली मालिक ही है,यह होते हुए भू-विस्थापित लोगो की भूमि बीना मुआवजा दीये बलपूर्वक भूमि उत्खनन करना सही नहीं है,उन्होने हमारे जनप्रति निधि एवं शासन प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा की उनहे आम जनता एवं किसानो का साथ देना चाहिये परंतु आम जनता को छोडकर एस.ई.सी.एल.की भाषा बोलना बताये,जिससे भू-विस्थापित जनता परिवार पर झूठा केस मुकदमा दायर कर झूठ का साथ देकर प्रताडित करना व्यक्त किये,मध्य प्रदेश पुनर्वास नीति के अनुसार यदी कोई कंपनी या सरकार किसी भू-विस्थापित के आवास सहित उसका सम्पूर्ण भूमि अधिग्रहण किया जा रहा है तब उस भू-विस्थापित परिवार को न्यायोचित मुआव्जा बसाहट और रोजगार देना अनिवार्य है,और यह एस.ई.सी.एल.कुसमुंडा के द्वारा नहीं किया जाना पाया जा रहा है जो भू-विस्थापित परिवार के लिये अन्यायपूर्ण है,और यह आम जनता किसानो के लिये संवैधानिक तरीके से न्यायोचित नही है,भू-विस्थापित के अधिकार के साथ छल कपट,अन्याय एवं लूट-लपाट,प्राताडित किया जा रहा है |