
कटघोरा/कोरबा(आई.बी.एन- 24)कटघोरा क्षेत्र में शासकीय खाद्यान्न (पीडीएस चावल) की अफरा-तफरी और कालाबाजारी को लेकर एक बार फिर गंभीर आरोप सामने आए हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के जिलाध्यक्ष राजकुमार दुबे ने जिला कलेक्टर और एसडीएम कटघोरा को एक विस्तृत शिकायत पत्र सौंपते हुए आरोप लगाया है कि थाना कटघोरा में लगभग एक सप्ताह से खड़ी गाड़ी (वाहन क्रमांक सीजी-12 बीएम-3490) की जांच पारदर्शी तरीके से नहीं की गई है।
दुबे के अनुसार उक्त वाहन में 135 बोरी चावल लोड था, जिसमें फोर्टीफाइड चावल का मिश्रण (लगभग 0.3%) पाया गया है। उन्होंने कहा कि यह चावल शासकीय उचित मूल्य दुकान (पीडीएस) का प्रतीत होता है और इसे मित्तल राइस मिल कटघोरा में खपाने की योजना थी। लेकिन जांच रात के अंधेरे में, बिजली की रोशनी में, जल्दबाजी में कराई गई जिससे पूरे प्रकरण पर संदेह गहराता जा रहा है।
राजकुमार दुबे ने यह भी बताया कि उन्होंने पूर्व में ही जिला प्रशासन से यह मांग की थी कि जांच से स्थानीय खाद्य निरीक्षक को अलग किया जाए, क्योंकि वह संबंधित वाहन मालिकों से सांठगांठ रखता है। बावजूद इसके, उसी निरीक्षक को जांच की जिम्मेदारी दी गई, जिससे निष्पक्ष जांच पर प्रश्नचिह्न लग गया है।
उन्होंने अपने आवेदन में बताया कि कोरबा जिले के लगभग 60 से 70 प्रतिशत पीडीएस दुकानों में शासन द्वारा कराए गए सत्यापन में भारी मात्रा में खाद्यान्न की कमी पाई गई है — जिसकी मात्रा करीब 37 लाख किलोग्राम और कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इसके बावजूद, अब तक किसी बड़े भ्रष्टाचार प्रकरण में न्यायिक कार्रवाई नहीं की गई है।
दुबे ने आरोप लगाया कि जिले में एक सिंडिकेट के रूप में कुछ लोगों द्वारा खाद्य विभाग के मिलीभगत से शासकीय चावल की अवैध बिक्री और हेराफेरी की जा रही है। उन्होंने कहा कि “जांच का जिम्मा हर बार उन्हीं भ्रष्ट अधिकारियों को दे दिया जाता है जो खुद इन मामलों में संलिप्त हैं। ऐसे में दोषी लोग बच निकलते हैं और ईमानदार कर्मचारी दबाव में आ जाते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि वाहन में जो बोरे मिले हैं, वे 30, 35 और 50 किलो के हाथ से सिले बोरे हैं, जबकि बाजार में आमतौर पर 25 से 26 किलो पैक चावल ही मिलता है। इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि यह चावल पीडीएस का स्टॉक है, जो खुले बाजार में बेचे जाने के उद्देश्य से लाया गया था।
दुबे ने अपने आवेदन में यह भी उल्लेख किया है कि पिछले कई वर्षों से जिले में इस तरह के कई मामले सामने आए हैं — रामपुर चौकी, गौमाता चौक, मुड़ापार रोड और कोरकोमा गोदाम में भी पीडीएस चावल पकड़ा गया था, परंतु अधिकांश मामलों में कार्रवाई अधूरी रह गई।
उन्होंने जिला प्रशासन से मांग की है कि —
इस मामले में स्वतंत्र जांच समिति गठित की जाए।
जांच में कोरबा जिले के खाद्य विभाग के अधिकारी शामिल न हों या किसी अन्य जिले से अधिकारी बुलाए जाएं।
जांच रिपोर्ट की प्रतिलिपि शिकायतकर्ता को भी उपलब्ध कराई जाए।
और यदि आवश्यक हो तो मामले को खाद्य आयोग छत्तीसगढ़ शासन को भेजा जाए।
अंततः अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) कटघोरा ने राजकुमार दुबे के द्वारा पूर्व में कराई गई जांच पर संदेह व्यक्त करने पर पुन: तहसीलदार कटघोरा के माध्यम से जांच करने का निर्णय लिया है*
राजकुमार दुबे ने यह भी कहा कि उन्हें लगातार धमकियाँ मिल रही हैं कि यदि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते रहेंगे तो उन्हें झूठे मामलों में फँसाया जा सकता है या जान से मारने की कोशिश की जा सकती है। इसलिए उन्होंने अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग भी की है।
दुबे ने कहा —
“देश की सबसे बड़ी योजना ‘खाद्य सुरक्षा योजना’ कोरबा जिले में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। करोड़ों रुपये के खाद्यान्न की चोरी हो चुकी है और अधिकारी केवल लीपापोती में लगे हैं। अब समय आ गया है कि सच्चाई जनता के सामने आए।”