आखिर किसके संरक्षण से कोरबा में फल फूल रहा कबाड़ का अवैध व्यापार, चोरी के माल की जमकर खरीद बिक्री।

कोरबा (आईबीएन-24) – कोरबा शहर जिस तेजी से औद्योगिकीकरण की चपेट में आता जा रहा है, उसी तेजी से यहां अपराध जन्य अवैध व्यापार भी अपनी जड़ें जमाते जा रहा है। क्षेत्र में इन दिनों अवैध कबाड़ का धंधा जोरो पर है, रायपुर में बैठ मॉनिटरिंग कर संचालित किए जा रहे कबाड़ के इस धंधे से चोरी और अपराध बढ़ने की सम्भावनाये प्रबल होती जा रही हैं, जिले में अवैध कबाड़ का अवैध गोरखधंधा दिनों दिन फल-फूल रहा है। हर महीने करोड़ों का कारोबार कबाड़ के अवैध ठिकानों से हो रहा है। जिला मुख्यालय समेत खरमोरा, दर्री, कटघोरा, पाली, दर्री, बाकीमोंगरा, दीपका एवं अन्य क्षेत्रों में अवैध कबाड़ का गोरखधंधा चरम पर है। कबाड़ का कारोबार बेरोकटोक चल रहा है। थाने के सामने से ही कबाड़ लोड की गाड़ियां गुजरती है लेकिन पुलिस अमला एवं जिम्मेदार अधिकारी कार्यवाही करने के बजाए नजरअंदाज करते दिखते हैं, थाना से लेकर निगरानी से जुड़े अन्य अमले के साथ कबाडिय़ों की जबरदस्त सेटिंग होने के कारण उनके प्रति किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं होती है। इन दिनों कबाड़ का अवैध कारोबार कोरबा जिले में जोरों पर है। जानकारों की मानें तो जगह-जगह कबाड़ी सक्रिय हैं जिन्हें प्रशासन का कोई खौफ नहीं है। यही कारण है कि ये कबाड़ी चैबीसों घंटे शासन-प्रशासन और जनता को चूना लगा रहे हैं। इस बात से जनता काफी परेशान है क्योंकि सार्वजनिक जगहों से जरूरत की चीजों को क्षति तो पहुंचाई ही जाती है साथ ही लोगों की निजी संपत्तियों की भी चोरी हो जाती है जो चोरों द्वारा कबाडिय़ों को ही बेंचा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि शहर में कबाड़ व्यवसाय पर अंकुश नही लग पा रहा है, जिससे लोगों के नवनिर्मित भवनों, सार्वजनिक स्थलों में लोग अपनी जरूरत की चीजों पर हाथ साफ करने में इन दिनों चोर और कबाड़ी दोनों सक्रिय हैं। लोहे की चीजों को काटकर क्षति पहुंचाया जा रहा है। इस समय जिले में कबाड़ी अपने अवैध कारोबार को खूब फैला रखें हैं, उनके इस कार्य में अंकुश न लगने पर ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस प्रशासन की अंदरूनी सहमति मिली हुई है। यही कारण है कि पुलिस के नाक के नीचे कबाड़ी धड़ल्ले से काम को अंजाम देतेे हैं। इनके खेल को रात के समय क्षेत्रों में देखा जा सकता है जहां चोरी के कीमती सामानों को लाकर कबाडिय़ों को सौंपा जाता है। कुछ चोर सीमावर्ती क्षेत्रों से काफी अधिक मात्रा में और मंहगा स्क्रैप लाया जाता है।
धंधे की जद में फंस रहे बच्चे- कुछ ना पहले कई मामले ऐसे भी सामने आए हैं,जिनमें कबाड़ी बच्चों से चोरी के माल खरीदते हैं। वे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किशोरों को चोरी करने के लिए प्रेरित करते हैं। ये किशोर प्रायःगरीब तबके के होते हैं। पारिवारिक व सामाजिक मार्गदर्शन नहीं मिलने से वे घरो के आसपास फेंके गए कचरे में से कबाड़ चुनते है बाद में इन बच्चों पर पारिवारिक नियंत्रण नहीं होने के कारण नशे के गिरफ्त में आ जाते है, और अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए चोरी के धंधे में उतर आते है। कबाड़ियों को चोरी का लोहा बेच कर इन्हें आसानी से पैसा मिल जाता है जिससे ये धीरे-धीरे इस अपराध के अनजाने में हिस्सेदार बनते जाते हैं ।