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बुढ़ियापली में दर्दनाक हादसा: आठ वर्षीय बालक की ट्रैक्टर के नीचे दबकर मौत, चालक की लापरवाही से मचा कोहराम।


कोरबा (आई.बी.एन -24) कोरबा जिले के ग्राम पंचायत बुढ़ियापली से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहाँ सिर्फ 8 साल के मासूम बालक की ट्रैक्टर के नीचे दबने से मौत हो गई। यह हादसा ट्रैक्टर चालक की लापरवाही और कथित रूप से बच्चों से मजदूरी करवाने की वजह से हुआ बताया जा रहा है।

लालच के चक्कर में गई मासूम की जान
मिली जानकारी के अनुसार, ग्राम बुढ़ियापली निवासी नरेश गुहा, जो पेशे से ट्रैक्टर चालक है, 19 अक्टूबर 2025 को अपने ट्रैक्टर से ईंटों की ढुलाई कर रहा था। बताया जा रहा है कि नरेश ने कुछ नाबालिग बच्चों को थोड़े पैसों के लालच में ईंट लोडिंग-अनलोडिंग का काम करने के लिए बुलाया था।

उसी दौरान 8 वर्षीय ओमप्रकाश कश्यप, जो पास में ही रहता था, भी इस काम में मदद कर रहा था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, जब ट्रैक्टर आगे बढ़ा, तो अचानक झटके से ओमप्रकाश संतुलन खो बैठा और नीचे गिर गया। गिरते ही उसने चालक से रुकने की गुहार लगाई — “रुको अंकल, रुको!” — लेकिन मदहोश चालक ने ट्रैक्टर नहीं रोका और आगे बढ़ गया, जिससे ट्रैक्टर का टायर बच्चे के ऊपर चढ़ गया।

हॉस्पिटल पहुंचने से पहले तोड़ा दम
हादसे के बाद आसपास के लोग बच्चे को गंभीर हालत में तुरंत चांपा हॉस्पिटल लेकर पहुंचे, लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। इस दर्दनाक खबर से पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई।

पुलिस जांच में जुटी
घटना की जानकारी अगले दिन परिजनों द्वारा उरगा थाना में दी गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है। उरगा थाना प्रभारी के अनुसार,

“डायरी आने के बाद आगे की कानूनी कार्यवाही की जाएगी। चालक की भूमिका और शराब सेवन की पुष्टि के लिए जांच जारी है।”

ग्रामीणों में आक्रोश, प्रशासन से कार्रवाई की मांग
घटना के बाद ग्रामीणों में भारी आक्रोश देखा गया। लोगों का कहना है कि क्षेत्र में नाबालिग बच्चों से काम करवाने की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जिस पर प्रशासन को सख्ती से रोक लगानी चाहिए।
ग्रामीणों ने मांग की है कि मृतक परिवार को मुआवजा दिया जाए और दोषी चालक पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

बाल मजदूरी और लापरवाही का काला चेहरा
यह घटना न केवल एक परिवार की जिंदगी उजाड़ने वाली त्रासदी है, बल्कि समाज में फैली बाल मजदूरी और लापरवाही की गहरी समस्या को भी उजागर करती है। सवाल यह है कि आखिर कब तक मासूम बच्चे कुछ पैसों के लालच में अपनी जान जोखिम में डालते रहेंगे?

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