कोरबा (आई.बी.एन -24) जनपद पंचायत कटघोरा इस समय सुर्खियों में बनी हुई है, सरकारी जमीन के रजिस्ट्री का मामला विवाद से बचने के लिए आचार संहिता का समय निर्माण हेतु चयन कर इसी समय दिन रात एक कर कई मजदूरों को काम में लगाया, ताकि आचार संहिता खत्म होते ही इसका काम पूर्ण हो जाए, और कोई भी किसी प्रकार से विवाद न कर सके। सरकारी तंत्र ने जनपद पंचायत कटघोरा की जमीन को किस दबाव में आकर कांग्रेस नेताओं को औने-पौने दाम में रजिस्ट्री कराया, पूरे शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
यह तो कानून का पालन करने वाले अधिकारी और कांग्रेस नेता जाने। लेकिन सरकारी योजना के लिए आरक्षित इस जमीन को निजी व्यक्ति को सौंपने में पूर्व विधायक पुरूषोत्तम कंवर का हाथ जरूर था, नहीं तो जनपद पंचायत की जमीन को बचाने वे जरूर लड़ते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
इस मामले का खुलासा कटघोरा क्षेत्र के एक कांग्रेसी कार्यकर्ता ने ही किया। और अपना नाम नही बताने के शर्त में उन्होंने बताया कि शहीद वीरनारायण चौक से 50 मीटर दूर मुख्य मार्ग में जनपद पंचायत की कई डिसमिल जमीन थी, जो कांजी हाउस एवं अन्य विकास कार्यों के लिए आरक्षित थी, खाली भूमि में बकायदा प्रस्तावित विकास कार्यों के लिए जमीन आरक्षित था, बोर्ड भी सालों से लगा हुआ था। इस पूरे जमीन पर कांग्रेसियों की गिद्ध नज़रें पहले से ही लगी थी और किसी तरह इस जमीन को हड़पने की साजिश रची गई और इस पर वे सफल भी हुए।
नियम एवं शर्तों को ताक में रख कर जमीन की सरकारी रजिस्ट्री करा ली गई। बताया जा रहा है कि उक्त जमीन की कीमत करीब 25 करोड़ से अधिक है, लेकिन कांग्रेसियों ने इस जमीन को 25 लाख रूपए में रजिस्ट्री कराकर हड़प ली। इस सनसनीखेज मामले का उजागर होने के बाद कटघोरा के कुछ नेताओं ने इस पर आपत्तिजनक भी जतायी है। तब समय रहते तहसीलदार लहरे ने इस पर रोक लगा दिया।
सरकार की दबाव में किया अवैध नाम की रजिस्ट्रीकरण।
यह मामला लगभग साढ़े तीन साल पहले की है, जब कटघोरा जनपद पंचायत में पदस्थ CEO के रूप में संजय मरकाम थे। सरकारी दबाव में आकर कुछ अधिकारियों ने जनपद की जमीन को कांग्रेसियों के नाम पर रजिस्ट्री के लिए NOC (एन.ओ.सी.) दे दी,और कुछ अधिकारियों ने मामले को कोर्ट ले जाने की तैयारी की थी, लेकिन वे गए या नहीं इसकी जानकारी नहीं मिल पायी है।
आखिर जनपद पंचायत कटघोरा की जमीन को निजी व्यक्ति को कौन और कैसे रजिस्ट्री कराकर उनके नजदीकियों को दिया गया यह जांच का विषय है।
विवाद निर्मित न हो इसलिए आचार संहिता में बनायी दुकान भवन को।
नवनिर्मित यह दुकान कटघोरा निवासी एक दिग्गज कांग्रेस नेता की है। जिसने लोगों के विवाद से बचने के लिए आचार संहिता का समय चुना और दिन रात एक कर कई मजदूरों को काम में लगाया, ताकि आचार संहिता खत्म होते ही इसका काम पूर्ण हो जाए और कोई भी किसी प्रकार से विवाद न कर सके। सरकारी तंत्र ने जनपद पंचायत कटघोरा की जमीन को किस दबाव में आकर कांग्रेस नेताओं को औने-पौने दाम में रजिस्ट्री कराया,
यह तो कानून का पालन करने वाले अधिकारी और कांग्रेस नेता जाने। लेकिन सरकारी योजना के लिए आरक्षित इस जमीन को निजी व्यक्ति को सौंपने में पूर्व विधायक पुरूषोत्तम कंवर का हाथ जरूर है, नहीं तो जनपद पंचायत की जमीन को बचाने वे जरूर लड़ते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिससे साफ जाहिर है की विधान सभा कटघोरा में किस तरह भ्रष्टाचार व्याप्त है।