दीपक महंत (विशेष संवाददाता)
कोरबा(आईबीएन 24) :प्रदेश की ऊर्जा नगरी कहे जाने वाले कोरबा जिला को कभी कांग्रेस का गड़ कहा जाता रहा, जिले में चार विधानसभा सीटों में से तीन पर कांग्रेस का तगड़ा कब्जा रहता था , नगर निगम,जिला पंचायत से लेकर जनपदों तक में भी कांग्रेसी सरकार ही राज करते थे लेकिन समय का चक्र ऐसा चला की किताब के पन्नों की तरह पृष्ट अब पलटते जा रही है। नगर निकाय और पंचायत चुनाव में बीते 5 वर्ष पहले तक जहां कांग्रेस का राज था वहा की परिस्थिति ही पूरी बदल गई , शहर सरकार हो या फिर गांव की सत्ता,हाल फिलहाल के चुनावों में लोगों ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है।
कोरबा की सांसद ज्योत्सना महंत को छोड़ कर देखा जाए तो कोरबा में कांग्रेस निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की संख्या अब बेहद कम हो चुकी है।
नगर निगम में भाजपा को कभी नहीं मिली थी इतनी बड़ी जीत । ज्ञात हो कि नगर पालिका निगम में मेयर के लिए यह छठवां
चुनाव रहा मेयर पद के लिए जब भी प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली से मतदान हुए तब जीत का अंतर 57000 वोटों से ज्यादा नहीं रहे । लेकीन भाजपा की मेयर प्रत्याशी संजू देवी राजपूत ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस की उषा तिवारी को 48000 वोटों से हराया ,इसके साथ साथ 67 पार्षदों की सीट वाले नगर पालिका निगम कोरबा में 45 सीट पर भाजपा के पार्षदों ने जीत हासिल की वहीं कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्यासियों ने 11 – 11 सीट हासिल की । ज्ञात हो की नगर पालिका निगम कोरबा में अब तक जितने भी चुनाव हुए हैं उसमे यह चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए खास रही है।
इसी कड़ी में जिला पंचायत की 12 में से इस बार 8 सीट भाजपा के पास है। देखा जाए तो कुल 12 सीट वाले जिला पंचायत कोरबा में 8 सीट पर भाजपा समर्थित प्रत्याशियों ने कब्जा कर लिया है । और बाकी बचे सीट निर्दलीय प्रत्याशीयों के पास चली गई है जबकि कांग्रेस को एक भी सीट पर भी जीत नही मिली । पिछले 5 साल कोरबा को कांग्रेस का गड़ समझा जाता था,जिला पंचायत में भी कांग्रेस की शिवकला कंवर अध्यक्ष थी अब समीकरण को पूरी तरह से पलटते हुए जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष का निर्वाचन संपन्न हुआ जिसमें जिला पंचायत के दावेदारी पवन कुमार सिंह भाजपा समर्थित प्रत्याशी निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए है. अध्यक्ष का निर्वाचन निर्विरोध रूप से हुआ है ।वहीं उपाध्यक्ष पद पर निकिता जायसवाल निर्विरोध निर्वाचित हुई हैं।
लोगों ने क्यों छोड़ा हाथ का साथ..? क्या हो सकते है प्रमुख कारण :
पिछले विधानसभा चुनाव में खेला गया मास्टरस्ट्रोक महतारी वंदन के 1000/- की इस चुनाव में खासी चर्चा रही ,कारण यह हो सकता है कि शहरी व ग्रामीण दोनो जगहों पर मिडिल और लोअर क्लास सभी वर्ग के महिलाओं को इसका लाभ मिला अथवा मिल रहा है। लोग बाग इस योजना से खासे प्रभावित है । प्रति महीने के दर पर महिलाओं को 1000/- दिया जाना इस चुनाओं में गेम चेंजर साबित हुआ है।
कोरबा जिले में भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारीयों एवं अन्य कार्यकर्ताओं कहना है कि पिछले पंचवर्षीय में जब प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी तब भ्रष्टाचार चरम पर था कोरबा जिले से लेकर राज्य तक भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर हुए । इसीलिए जनता का विश्वास कांग्रेस ने खो दिया ।
भाजपा के जनकल्याणकारी योजनाओं ने भी जनता को लुभाया, पिछले वर्ष भर में प्रदेश के मुखिया सीएम विष्णु देव साय की अगुवाई में जो काम हुए उसने जनता का मन पूरी तरह बदल दिया । यही कारण हो सकता है कि जनता ने कांग्रेस को एक सिरे से नकार दिया।
कारण यह भी हो सकता है कि वर्तमान त्रिस्तरीय चुनाव में भाजपाई आपसी भेदभाव भूलकर सामंजस्य पूर्वक लड़े है जबकि कांग्रेस के आपसी झगड़ा किसी से छिपा नहीं रहा है। कांग्रेस की गुटबाजी भी उनके हार का कारण बनी तो उसी वक्त भाजपाइयों ने अच्छी रणनीति के साथ चुनाव लड़ा जिसकी गतिविधियां चुनाव में स्पष्ट दिखाई दिया।
लोगों का कहना है कि कांग्रेस की योजनाओं का सफल न हो पाना भी उनके हार का प्रमुख कारण बनी जैसे गौठान का निर्माण पूरी तरह फ्लॉप साबित हुई । इसके साथ जन कल्याण कारी योजनाओं का लाभ लोगों तक ठीक से नहीं पहुंच पाना ।
इन सभी तथ्यों के साथ ही कोरबा में फ्लोरा मैक्स से ठगी की शिकार 40000 महिलाओं के सत्ता पलट देने की उम्मीद थी । महिलाएं अब भी रिकवरी एजेंट से परेशान हैं । महिलाओं को एनबीएफसी माइक्रोफाइनेंस कंपनी से लोन दिलवा कर ठगी करने का अनोखा मामला प्रकाश में आया था । इतनी अधिक तादात में 100 करोड़ से भी अधिक की ठगी महिलाओं के साथ हुई । यह सब भाजपा के कार्यकाल अंतर्गत ही हुआ । चुनाव के ठीक पहले कैबिनेट मंत्री राम विचार नेताम और लखनलाल देवांगन के बीच सड़क पर महिलाओं से नोकझोंक भी हुआ था ।
लेकिन बावजूद इसके इस बात का कोई भी असर इस चुनाव में कहीं नहीं दिखा और चुनाव अंतर्गत ना इस सम्बंध में कोई चर्चा सुनने को मिली । अब कांग्रेस की बात करें तो आने वाले समय में वापसी के लिए कांग्रेस को अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ेगी क्योंकी अब सांसद को छोड़ दिया जाए तो जिले में तो चार में से दो विधायक भाजपा के है । इसी कड़ी में जिला पंचायत और नगर निगम पर भी भाजपा का कब्जा हो चुका है ।जो भाजपा की एक बड़ी जीत को साबित करती है।