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DMC ने की DEO के आदेश की अवमानना,अपीलीय आदेश के बावजूद छुपाई DMF ,CSR के कार्यों से सम्बंधित जानकारी ,पूर्व DMC के कार्यकाल की भी फाइलें हो चुकी है गायब !भ्रष्टाचार के आसार ,सत्ता परिवर्तन के बाद भी सुध नहीं ले रही सरकार …….।

कोरबा । शासकीय योजनाओं ,व्यवस्थाओं एवं फंड में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से लागू की गई केंद्रीय कानून सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 छत्तीसगढ़ में भष्ट्र जन सूचना अधिकारियों की वजह से मजाक बनकर रह गया है। भ्रष्टाचार छुपाने इस कदर मनमानी चल रही है कि अपीलीय अधिकारी के आदेश के बाद भी आवेदकों को वांक्षित दस्तावेजों की सत्यप्रतिलिपि उपलब्ध न कराकर नियमों का माख़ौल उड़ाया जा रहा है। आकांक्षी जिला कोरबा में कार्यालय समग्र शिक्षा केंद्रीय कानून का मजाक उड़ाने में सिरमौर है। प्रथम अपीलीय अधिकारी डीईओ के आदेश के बाद भी डीएमएफ एवं सीएसआर के कार्यों से संबंधित आवेदक द्वारा व चाही गई जानकारी दबा दी है। जिससे उपरोक्त योजनाओं के कार्यों में भ्रष्टाचार की आशंका बलवती हो गई है।

दरअसल कार्यालय समग्र शिक्षा में आवेदक ने दिनांक 31.07.2024 को पत्र क्रमांक 5167 से 5172 तक कुल 6 पृथक पृथक आवेदन सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत प्रस्तुत कर वित्तीय वर्ष 2023 -24 में जिला खनिज संस्थान न्यास एवं सीएसआर के अंतर्गत कराए गए कार्यों के पूर्णता प्रमाण ,चालू वित्तीय वर्ष 2024 -25 में जिला खनिज संस्थान न्यास एवं सीएसआर के अंतर्गत कराए गए कार्यों के प्रशासकीय स्वीकृति आदेश,एवं वित्तीय वर्ष 2023 -24 एवं चालू वित्तीय वर्ष 2024 -25 में जिला कार्यालय में संधारित कैश बुक की सत्यप्रतिलिपि उपलब्ध कराए जाने का अनुरोध किया गया था। लेकिन जन सूचना अधिकारी ने निर्धारित दिवस दिवस की मियाद में न तो पत्र व्यवहार किया न जानकारी प्रदान की । जिससे क्षुब्ध होकर आवेदक ने दिनांक 10 -09 -2024 को प्रथम अपीलीय अधिकारी सह कार्यालय जिला शिक्षा अधिकारी के यहाँ पत्र क्रमांक 5371 से 5376 तक कुल 6 पृथक पृथक आवेदनों के माध्यम से प्रथम अपील प्रस्तुत किया था। जिसकी दिनांक 24 .10 .2024 को विधिवत सुनवाई की । जिसमें प्रस्तुत प्रथम अपील के प्रकरण को वैद्य पाया ,लिहाजा कार्यलयीन पत्र क्रमांक 5576 दिनांक 11 /11/2024 को अपने कार्यालय में दर्ज अपील प्रकरण क्रमांक 115 -120 से संबंधित जानकारी जिला मिशन समन्वयक (डीएमसी)को नियमानुसार 7 दिवस के भीतर प्रदाय करने का आदेश दिया था। लेकिन अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आवेदक को 15 दिवस बीतने के बाद भी जानकारी आज पर्यंत प्रदाय नहीं की गई। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि उपरोक्त प्रकरणों में करोड़ों रुपए की स्वीकृत कार्यों में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरती गई है। जिसके साक्ष्य का वांक्षित प्रकरणों में समावेश है यही वजह है कि वास्तविकता उजागर न हो जाने के डर से वांक्षित जानकारी छुपाई जा रही है। इस तरह हमेशा की तरह कार्यालय समग्र शिक्षा ने अपीलीय अधिकारी डीईओ कार्यालय के आदेशों का माखौल उड़ाया है। मामले में जनसूचना अधिकारी डीएमसी मनोज कुमार पांडेय से जब जानकारी प्रदाय नहीं करने के संदर्भ में चर्चा की गई तो उनके द्वारा जानकारी शीघ्र प्रदाय करने की बात कही गई। लेकिन यह जानकारी कब प्रदान करेंगे इसके संदर्भ में उन्होंने कुछ भी स्पष्ट नहीं किया। स्पष्ट है पूरा माजरा टालमटोल रवैये को इंगित करता है।

पूर्व डीएमसी डीएमएफ सीएसआर के करोड़ों की फाईल ले उड़े,आज पर्यंत दर्ज नहीं हुई एफआईआर

कार्यालय समग्र शिक्षा कोरबा का केंद्रीय कानून सूचना के अधिकार की अवहेलना का यह पहला मामला नहीं है। पूर्व में भी जनसामान्य /आवेदकों को उक्त अधिनियम के तहत चाही गई वांक्षित जानकारी प्रदाय न कर शासन ,केंद्रीय कानून के प्रति अविश्वास की भावना पैदा की जाती रही है। गत वित्तीय वर्ष में सम्बंधित कार्यालय से डीएमएफ सीएसआर के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 एवं 2023 -24 में स्वीकृत कार्यों के सूची,प्रशासकीय स्वीकृति आदेश,देयक व्हाउचर,कोटेशन,निविदा प्रक्रिया ,क्रय प्रक्रिया भौतिक सत्यापन पपत्र आदि की जानकारी मांगी गई थी। जिसके परिपालन में कार्यालय समग्र शिक्षा कोरबा ने कार्यालयीन पत्र क्रमांक 327 दिनांक 13 /03 /2024 के माध्यम से आवेदक को पत्र व्यवहार कर पूर्व डीएमसी द्वारा डीएमएफ एवं सीएसआर से संबंधित फाईल उपलब्ध नहीं कराए गई है लेखकर जानकारी प्रदाय करना संभव नहीं है लेख किया गया था। जबकि कायदे से ऐसे प्रकरणों में सम्बंधितों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराए जाने का प्रावधान है। लेकिन भ्रष्ट अफसरों को बचाने प्रकरण में एफआईआर तक दर्ज नहीं कराई जा सकी हैं। जबकि कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विभाग में संविधान के अनुच्छेद 275 (1 ) मद के 3 करोड़ के कार्यों की भुगतान से सबंधित नस्ती कार्यालय में उपलब्ध नहीं होने पर पूर्व सहायक आयुक्त के विरुद्ध शासन ने जांच कमेटी बैठा दी है। डीएमएफ से स्वीकृत कार्यों , टेंडर में हुए अनियमितता के मामले में पूर्व सहायक आयुक्त हिरासत में हैं। जबकि समग्र शिक्षा में किसी को आंच तक नहीं आई। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो 2022-23 ,2023 -24 इन दोनों वित्तीय वर्षों में डीएमएफ एवं सीएसआर से सेजेस,स्कूलों के लिए 60 करोड़ रुपए से फर्नीचर,बर्तन,भवन ,कम्प्यूटर लैब समेत विभिन्न कार्य कराए गए हैं ,सामाग्रियों की खरीदी की गई है । लेकिन जिन तत्कालीन कलेक्टर के कार्यकाल में यह सारी अनियमितता हुई है सत्ता परिवर्तन के बाद उसे उसी विभाग का संचालक समग्र शिक्षा का महत्त्वपूर्ण पद पर बिठा दिया गया है।जिससे सत्ता पक्ष की कार्यशैली पर सवाल उठ रहे हैं। इसी साल पीएम श्री स्कूलों के लिए प्राप्त आबंटन में बाजार से 3 गुना अधिक दर पर वाद्य यंत्रों की खरीदी करने के मामले में भी कार्यालय समग्र शिक्षा की कार्यशैली चर्चित रही। जिसमें जिम्मेदारों पर आज पर्यंत कार्रवाई नहीं की जा सकी।

विशेष शक्ति का प्रभाव ,यहाँ इनकी चलती है …..

जिस पर केंद्रीय कानून,उच्च अधिकारी के आदेश की अवहेलना का सिलसिला कार्यालय समग्र शिक्षा में बना हुआ है। शिकायतों ,शासन के आदेश पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती ,वाकई हैरान करने वाला है। जिला गठन के बाद पहली बार ऐसा कोई कार्यालय होगा जो इतनी हिमाकत करने के बाद बेख़ौफ मनमाना कार्य कर रहा होगा। सूत्र बताते हैं डीएमसी से ज्यादा यहाँ के एक चर्चित अधिकारी की चलती है। जिसके लिए जिले के एक प्रभावशाली शख्स की सिफारिशें आती है।लगभग सभी मलाईदार शाखाएं इन्हीं की अधीन है जिसे परिवर्तन करने की हिमाकत कोई नहीं कर सकता। यूं कहें पूरा कार्यालय और अधिकारी इन्हीं के इशारों पर चलते हैं। इन्हें इस कदर छूट और बेझिझक कार्य करने का लाइसेंस मिला है कि शिकायतकर्ताओं के विरुद्ध ही ये छल कपटपूर्वक निराधार शिकायत करवाने करने में माहिर हैं। सत्ता परिवर्तन के बाद भी जब इन पर आंच तक नहीं आई तो यह बात स्वीकार करने में कोई गुरेज नहीं कि इन पर ऊपरवालों की विशेष कृपा बनी हुई है।

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