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जल जीवन मिशन के कार्यों में अनियमितता के लिखित शिकायत की जांच पड़ी ठंडी ,सुध लें जलशक्ति मंत्रीजी।

कोरबा(आई.बी.एन -24) आकांक्षी जिला कोरबा में जल जीवन मिशन के तहत उद्यम में एवं अधिकारियों की जुगलबंदी से लेकर तकनीकी खामियां, गुणवत्ता को खोदकर मनमाने से धीरे-धीरे काम करना जारी रखा गया है, साथ ही जिले में संबंधित फर्मों के खिलाफ जांच की गई है। और फर्म को नियमित भुगतान हो रहा है। गुरुवार को 2 दिवसीय दौरे पर कोरबा जिले के दौरे पर आ रहे वी.सोमन्ना केंद्रीय राज्य मंत्री रेलवे एवं जल शक्ति भारत सरकार पर एक बार लोगों के विचार टिकी हुए हैं।

ज्ञात हो कि जल जीवन मिशन के कार्य को लेकर अब ग्रामवासी व सानिध्य भी यहां होने लगे हैं। 8 नवंबर को पोंडी उपरोड़ा विकासखंड के ग्राम जटगा में जनसमस्या निवारण शिविर का आयोजन
पाली ब्लॉक के 19 ग्राम पंचायत में मेसर्स ज्योति इलेक्ट्रॉनिक्स कटघोरा के इंजीनियरों द्वारा किया जा रहा था, जिसमें निर्माण कार्य की शिकायत की गई थी। सरपंच माखनपुर एवं रीटेल फर्म ने टेक्निकल फाइन के साथ काम करने के लिए 30 दिनों के लिए इंटरविभागीय जांच समिति की मांग की है। की है. पत्र में उल्लेख किया गया है।

है कि पाली विकास खंड के ग्राम पंचायत कोरबी बतरा , हाथीबाड़ी ,बम्हनीखुर्द ,बड़ेबांका, पोलमी ,चैतमा , चटुवाभौंना, पोड़ी, बनबांधा , पोटापानी, बगधरी ,कुटेलामुंडा , डोंगानाला , ईरफ , मुनगाडीह,शिवपुर, कांजीपनी ,बम्हनीकोना एवं अन्य ग्राम पंचायत में नल जल योजना अंतर्गत शुद्ध पर जल आपूर्ति हेतु 90 एमएम पाइप लगाए गए हैं वह भी जमीन से महज एक से डेढ़ फीट एवं कई जगह ऊपर में ही बिछाया गया है जबकि नियम अनुसार जमीन से 3 फीट गहरा पाइप बिछाया जाना है ।साथ ही पाइप बिछाने के पहले और बाद में रेत डालने का नियम है लेकिन रेत नहीं डाला गया है । ऐसी ही कंक्रीट से बने सीसी रोड को जेसीबी मशीन से खोदकर मिट्टी से पाट दिया गया है। जो वर्षा के बाद मिट्टी से दबकर गड्ढे हो गए हैं इससे ग्रामीणों को आवागमन करने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है इस गड्ढे में दो पहिया वाहन चालक एवं राहगीर आए दिन गिर कर चोटिल हो रहे हैं । यहां पिछले दो साल से आधा अधूरा कार्य कर छोड़ दिया गया है इससे घर में गली में बने चबूतरा नल के लिए बनाया गया केसिंग पाइप और नल की टोटी क्षतिग्रस्त हो रहे हैं।
इसी प्रकार गली के पाइप से घर के नल चैंबर तक लगने वाली पाइप को भी जमीन के ऊपर 5 से 6 इंच में ही लगाया गया जबकि निरय 1 फीट गहरे में लगाने की है इसे कभी भी भारी वाहन उसके ऊपर से गुजरने पर पाइप दबाकर क्षतिग्रस्त होने की आशंका है जिससे कभी भी जल आपूर्ति बाधित हो सकती है।
घर में बनाए गए नल चबूतरा निर्माण करने में महज एक से डेढ़ बोरी सीमेंट से बेस तैयार किया गया है जबकि नियमानुसार ढाई बोरी सीमेंट का उपयोग किया जाना है उक्त महत्वाकांक्षी योजना में जमकर गुणवत्ताविहीन कार्य कर गोलमाल किया जा रहा है जिससे केंद्र सरकार की नल जल की महती योजना को अधिकारी कर्मचारी एवं ठेकेदार के द्वारा धूमिल किया जा रहा है जांच उपरांत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की पोल खुलेगी। विभागीय अधिकारियों की जुगलबंदी से भ्रष्टाचार का यह खेल खेला जा रहा है। सब इंजीनियर फर्जी मूल्यांकन कर रहे ,एसडीओ दफ्तर में बैठे बिल का भुगतान कर रहे हैं। योजना से ग्रामीणों को पानी नहीं मिल रहा।
अतः 30 दिवस के भीतर अंतर्विभागीय जांच समिति गठित कर प्रकरण की सूक्ष्मता से जांच किया जावे,जांच उपरांत तक फर्म के आगामी भुगतान पर रोक लगाई जावे।ग्रामीणों ने चेतावनी दी वहै कि प्रकरण की जांच एवं उचित कार्रवाई नहीं होने पर वे प्रकरण सीधे न्याय हेतु मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने विवश होंगे। जिसकी समस्त जवाबदेही जिला प्रशासन की होगी।विश्वस्त सूत्रों की मानें तो पूर्व की तरह उक्त शिकायत को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। सबंधित फर्म का प्रभाव सत्ता परिवर्तन के पूर्व भी था और वर्तमान में भी है। मिशन संचालक जल जीवन मिशन को जनवरी माह में की गई इसी स्तर की शिकायत की जांच आज पर्यंत पूरी नहीं हुई। अम्बिकापुर में विभागीय अमले ने फर्म को ही क्लीनचिट दे दी। कोरबा में भी इसके पूरे आसार हैं। गुरुवार को 2 दिवसीय दौरे पर कोरबा जिले के प्रवास पर आ रहे वी .सोमन्ना केंद्रीय राज्य मंत्री रेलवे एवं जल शक्ति भारत सरकार पर एक बार फिर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं।

सब इंजीनियर के मूल्यांकित कार्यों का पुनः मूल्यांकन की दरकार

क्लासिक हो कि कटघोरा के सब इंजीनियर अभिषेक विश्कर्मा जिसमें पोंडी उपरोड़ा का भी अतिरिक्त प्रावधान बेहद कम किया जा रहा है। इनविलेज वर्कशॉप से ​​लेकर अब 385 करोड़ की लागत से कटघोरा, पाली पोंडी के 245 गॉंवों की तीर्थयात्रा तैयारी की जा रही प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी ग्रुप जल प्रदाय योजना मल्टीविलेज स्कॉल्स के कार्य भी यही आकलन कर रहे हैं। साथ ही ये 30 जुलाई से 11 सितंबर 40 दिन तक गैजेट्स के भी ऑफर में रह रहे हैं। इनमें से जल जीवन मिशन के द्वारा लगभग 500 करोड़ से अधिक के कार्यों का आकलन किया जा रहा है। विश्वस्त पोर्टल के इन मूल्यांकित कार्यों में निर्धारित तकनीकी खामियां की अनदेखी कर आकलन करने से फर्म विशेष को लाभ मिलता है। जिसकी जाँच पड़ताल की जाती है। पुनः आरंभ आकलन कर भौतिक वैज्ञानिक कार्यकलापों की दरकार है ताकि शासन को वित्तीय क्षति न हो सके और न ही उपकरण निर्माणुरूप हो सके।

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