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छत्तीसगढ़राजनीति

सीपीआई और माकपा के प्रत्याशी भरेंगे 30 अक्टूबर को नामांकन।

सीपीआई एवं माकपा की संयुक्त बैठक में कोरबा और कटघोरा में संयुक्त रूप से चुनाव लड़ने का लिया गया निर्णय, सीपीआई के सुनील सिंह कोरबा से और माकपा के जवाहर सिंह कंवर कटघोरा से कल भरेंगे नामांकन

एटक और सिटू ने दोनों प्रत्याशियों को दिया समर्थन
नामांकन भरने के समय एटक से हरिनाथ सिंह,दीपेश मिश्रा और सीटू से एस एन बैनर्जी और वी एम मनोहर विशेष रूप से रहेंगे उपस्थित

कोरबा (आई.बी.एन -24) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने विधानसभा क्षेत्र कोरबा और कटघोरा में मिलजुल कर प्रचार करने की घोषणा की है कोरबा से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सुनील सिंह और कटघोरा से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जवाहर सिंह कंवर को अपना संयुक्त प्रत्याशी बनाया है।
बालको में सीपीआई और माकपा की संयुक्त बैठक हुई बैठक में प्रमुख रूप से सीपीआई और माकपा के जिला सचिव के साथ एटक के प्रदेश महासचिव हरिनाथ सिंह,एम एल रजक, सीटू के प्रदेश अध्यक्ष एस एन बैनर्जी, जनाराम कर्ष के साथ बड़ी संख्या में किसान सभा,एटक और सीटू के नेतृत्वकारी साथी उपस्थित थे। बैठक में कोरबा से मजदूर नेता सुनील सिंह और कटघोरा से किसान नेता जवाहर सिंह कंवर के जीत के लिए संयुक्त अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है।
आज यहां जारी एक संयुक्त बयान में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव प्रशांत झा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव पवन कुमार वर्मा ने उक्त बातें कहीं संयुक्त बयान जारी करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों प्रत्याशी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संयुक्त प्रत्याशी है और दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता उनकी जीत को सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त अभियान चलाएंगे। छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों की सरकार रही हैं लेकिन उनकी कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों के कारण विनिवेशीकरण और निजीकरण की नीतियों को ही आगे बढ़ाया गया है। जिनके कारण आम जनता विशेष कर असंगठित मजदूरों की बदहाली बढ़ रही है यही कारण है कि आज प्रदेश में नियमित मजदूर से ज्यादा संख्या ठेका मजदूर संविदा कर्मचारी, दैनिक वेतन भोगियों एवं अनियमित कर्मचारियों की है। जिनका भरपूर शोषण किया जा रहा है जिनके पास रोजगार की कोई सुरक्षा नहीं है। बालको जैसे प्रसिद्ध सार्वजनिक उद्यम का निजीकरण करने में तत्कालीन कांग्रेस बीजेपी की सरकारों का ही हाथ है।

दोनों वामपंथी नेताओं ने कहा कि जिले में अंधाधुंध औद्योगीकरण के कारण बड़े पैमाने पर गरीबों का विस्थापन हो रहा है, लेकिन उनके पुनर्वास की चिंता से दोनों पार्टियों का कोई सरोकार नहीं रहा है, इसके कारण एसईसीएल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र भी अपने सामाजिक दायित्वों को पूरा करने से इनकार कर रहे हैं, और भू विस्थापितों को उनकी जमीन लौटाने और पुनर्वास भूमि का पट्टा देने से इनकार कर रहे हैं आदिवासी वन अधिकार कानून और पेसा कानून को लागू ही नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि कोरबा और कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस बीजेपी का राजनैतिक और नीतिगत विकल्प भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ही है, जिसने किसान सभा, सीटू, एटक के साथ मिलकर आम जनता की समस्याओं को हल करने के लिए ईमानदारी से संघर्ष किया है। इन संघर्षों के कारण आज आम जनता बदलाव के मूड में है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का संयुक्त प्रचार अभियान एक राजनैतिक शक्ति के रूप में उभरेगा और विधानसभा में प्रदेश के लिए एक तीसरा विकल्प का दरवाजा भी खुलेगा ।
30 अक्टूबर को एटक और सीटू के प्रदेश के नेता हरिनाथ सिंह,दीपेश मिश्रा, एस एन बैनर्जी,वी एम मनोहर, किसान सभा और भू विस्थापित संगठन के नेताओ की उपस्थति में दोनों प्रत्याशि सुनील सिंह और जवाहर सिंह कंवर घंटाघर में उपस्थित होकर रैली निकालकर नामांकन फार्म भरेंगे।
बैठक में एटक से एस के सिंह,धर्मेंद्र तिवारी,मनीष नाग,राममूर्ति दुबे,राजू बरेठ, डी श्रीनिवास,मुकेश,संतोषी बरेठ, सीटू से अमित गुप्ता,नागराज,संजय अग्रवाल,गया प्रसाद, आर डी चंद्रा के साथ बड़ी संख्या में मजदूर नेता उपस्थित थे।

 

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