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छत्तीसगढ़ शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को सीएम हाउस के आदेशों की नहीं है परवाह ,कोरबा के पत्रकार की झूठी शिकायत करवाकर छवि खराब करने वाले सहायक आंतरिक लेखा परीक्षण एवं करारोपण अधिकारी जे एस पैकरा के विरुद्ध आदेश के एक माह के बाद भी नहीं की कार्रवाई ,प्रश्रय से अधिकारी को झूठे शिकायत करने मिल रहा बल,देखें सीएम हाउस का पत्र ……

कोरबा (आईबीएन-24) छत्तीसगढ़ शासन के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग को मुख्यमंत्री निवास के आदेशों की परवाह नहीं है। कोरबा जिले के पत्रकार की झूठी शिकायत करवाकर छवि धूमिल करने का कुत्सित प्रयास करने वाले सहायक आंतरिक लेखा परीक्षण एवं करारोपण अधिकारी (पूर्व प्रभारी जिला अंकेक्षक ) जे एस पैकरा को निलंबित कर कोरबा जिले से अन्यत्र स्थानांतरण करने संबंधी दस्तावेजी शिकायत पर मुख्यमंत्री निवास से उमेश कुमार पटेल विशेष कर्त्तव्यस्थ अधिकारी मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन ने 2 फरवरी 2023 को कार्यवाही करने दिए निर्देश के एक माह बाद भी पालन नहीं किया गया। वही सचिव (भार साधक )पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग छत्तीसगढ़ शासन के इस कार्यशैली से न केवल मुख्यमंत्री निवास के प्रति जनमानस में छवि खराब हो रही वरन षड्यंत्रकारी शासकीय लोक सेवक को निराधार शिकायत करने करवाने का बल मिल रहा। व्यथित पत्रकार ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की मुख्यमंत्री निवास से शिकायत करते हुए पखवाड़े भर के भीतर उचित कार्रवाई नहीं होने पर मुख्यमंत्री निवास के सम्मुख प्रदर्शन की चेतावनी दी है।

यहाँ बताना होगा कि कोरबा जिले में दैनिक प्रखर समाचार के कोरबा ब्यूरो प्रमुख के पद पर कार्य कर रहे पत्रकार भुवनेश्वर महतो की व्यापक लोकहित में प्रकाशित खबर से बौखलाए सहायक आंतरिक लेखा परीक्षण एवं करारोपण अधिकारी पाली (पूर्व प्रभारी जिला अंकेक्षक ) जेएस पैकरा द्वारा
पत्रकार के विरुद्ध में षड्यंत्रपूर्वक सचिव संघ पोंडी ,कोरबा के अध्यक्ष से शासकीय विकास कार्य के नाम से कोरे कागज पर दस्तखत लेकर ब्लैकमेलिंग एवं प्रताड़ना की कूटरचित झूठी शिकायत कराकर छवि खराब करने का कुत्सित प्रयास किया था। जिसे बाद में सचिव संघ के दोनों अध्यक्षों ने षड्यंत्र का आभाष होते ही शिकायत वापस ले लिया था। वही प्रकरण में जिला कलेक्टर ने 12 अक्टूबर को षड्यंत्रकारी सहायक आंतरिक लेखा परीक्षण एवं करारोपण अधिकारी पाली जे एस पैकरा को जिला अंकेक्षक के प्रभार से मुक्त कर मूल पद के लिए भारमुक्त कर दिया था। साथ ही 12 अक्टूबर को प्रकरण की जांच के लिए तत्कालीन सँयुक्त कलेक्टर शिव बैनर्जी को जांच अधिकारी नियुक्त कर 15 दिवस के भीतर जांच प्रतिवेदन मांगा था। इसके बाद जिला प्रशासन की कार्यशैली सम्बंधित षड्यंत्रकारी शासकीय लोक सेवक का बचाव करने की रही। तमाम साक्ष्यों बयान के बाद भी निलंबन की कार्रवाई नहीं होने से व्यथित पत्रकार ने भेंट मुलाकात कार्यक्रम में 17 जनवरी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को प्रकरण से अवगत कराकर न्याय की गुहार लगाई थी। साथ ही मुख्यमंत्री निवास को 25 जनवरी 2023 को लिखित शिकायत पत्र भेजकर उचित कार्रवाई का अनुरोध किया था। जिसके परिप्रेक्ष्य में कार्यालय मुख्यमंत्री निवास के पत्र क्रमांक 2500723001640 दिनांक 02 /02 /2023 के माध्यम से सचिव (भारसाधक ) छत्तीसगढ़ शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय ,रायपुर को प्रकरण में मुख्यमंत्री जी के निर्देशानुसार पत्र पर नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई कर कृत कार्रवाई से आवेदक को अवगत करने का कष्ट करने का लेख किया गया था। लेकिन अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि पत्र जारी होने के एक माह उपरांत भी सचिव (भारसाधक ) छत्तीसगढ़ शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय ,रायपुर की कार्रवाई की प्रति आवेदक को प्राप्त हुआ । न ही इस संदर्भ में कोई पत्र व्यवहार प्राप्त हुआ। इससे स्पष्ट है कि प्रकरण में राज्य कार्यालय से संबंधित षडयंत्रकारी शासकीय लोक सेवक को प्रश्रय प्रदान किया जा रहा है। मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन के आदेशों की सचिव (भारसाधक ) छत्तीसगढ़ शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग मंत्रालय ,रायपुर को कोई परवाह नहीं है। व्यथित पत्रकार ने प्रकरण में 15 दिवस के भीतर कोरबा जिले में पदस्थ सहायक आंतरिक लेखा परीक्षण एवं करारोपण अधिकारी (पूर्व प्रभारी जिला अंकेक्षक ) जे एस पैकरा को निलंबित कर कोरबा जिले से अन्यत्र स्थानांतरण कर निलंबित करने का आग्रह किया है। अन्यथा से न्याय के लिए माननीय मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन के निवास के सामने धरना प्रदर्शन हेतु बाध्य होने की बात कही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सीएम हाउस के आदेशों से भी बड़े प्रभावशाली षड्यंत्रकारी शासकीय लोक सेवक पर कार्रवाई की गाज गिरती है या फिर पत्र व्यवहार में उलझाकर ऐसे कर्मचारी को पुनः झूठी शिकायत करने करवाने का अवसर प्रदान किया जाता है।

फर्जी शिकायत कर्ताओं के विरुद्ध भी हो कार्रवाई

जिस तरह पंचायत विकास के नाम पर जारी लाखों करोड़ों रुपए की शासकीय धनराशि का बंदरबाट कर शासन की मंशा को धूमिल कर आर्थिक क्षति पहुंचाने वाले पंचायत सचिवों,द्वारा झूठी शिकायत की जाती है। ऐसे मामलों में शासन स्तर से कड़ी कार्रवाई की दरकार है ताकि ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो। कार्रवाई न होने की दशा में प्रदेश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू न होने का फायदा उठाकर कतिपय ऐसे षड्यंत्रकारी शासकीय सेवक किसी भी हद तक जा सकते हैं।किसी भी झूठे मामले में लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकार को फंसा सकते हैं।

 

 

राष्ट्रपति भवन से लेकर राजभवन तक पत्रकार ने लगाई न्याय की गुहार

प्रकरण में शासन से न्याय नहीं मिलने से आहत पत्रकार ने राष्ट्रपति भवन,केंद्रीय गृह मंत्रालय से लेकर राजभवन तक दस्तावेजी शिकायत प्रस्तुत कर न्याय की गुहार लगाई है। वही प्रकरण में षड्यंत्रकारी शासकीय लोक सेवक को गृह जिले में पदस्थ रहकर प्रश्रय प्रदान कर करने वाले जिला पंचायत सीईओ नूतन कंवर की कार्यशैली व उनके विरुद्ध अब तक प्रस्तुत तमाम शिकायतों को भी संलग्न किया गया है। राजभवन जल्द मामले में उचित संज्ञान ले सकता है।

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