पाली (आई बी एन -24)नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम को लेकर उल्टी गिनती शुरू हो गई है. पार्टी-प्रत्याशियों समेत समर्थको की सांसे अटकी हुई है. नगर पंचायत पाली मे भाजपा, कांग्रेस और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने अपने-अपने जीत के दावे किए हैं वही आमजन के बीच कयासों का दौर जारी है.
नगर पंचायत पाली में 81% वोटिंग हुई है. इस चुनाव में अध्यक्ष और 15 पार्षद पद हेतु 37 प्रत्याशियों की किस्मत 3574 मतदाताओं ने ईवीएम में कैद कर दी है. वोटो की गिनती के लिए काउंटडाउन शुरू हो गया है. बहुत संभव है कि कल 15 फ़रवरी शनिवार को प्रातः 10:00 बजे तक परिदृश्य पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगा, कि नगर पंचायत में किसकी सरकार बनेगी. मतदान से मतगणना के बीच तीन दिन का समय कैसे गुजरा इसे प्रत्याशियों से भला बेहतर कौन बता सकता है. जब तक परिणाम नहीं निकला है सभी अपने-अपने जीत के दावे कर रहे हैं. नगर पंचायत चुनाव की हवा का रुख पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो पाया है.कांटे की टक्कर में अत्यंत संघर्ष पूर्ण मुकाबला बताया जा रहा है. मतदान के दो दिन पूर्व कांग्रेस के सावित्री श्रीवास के पक्ष में जो सहानुभूति दिख रही थी, इसे आखिरी दो दिन में भाजपा के अजय जायसवाल ने किस हद तक पाटा है?और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के कमल दास ने इस चुनाव में क्या भूमिका निभाई है उसने किसके वोट काटे हैं ?इस पर सब की नज़रें टिकी हुई है. कांग्रेस मान रही है कि इस चुनाव में उनकी जीत सुनिश्चित है, क्योंकि भाजपा अंतर्कलह और गुटबाजी से जूझ रही थी. पार्टी ने चिर परिचित प्रत्याशी के रूप में अजय जायसवाल को उतारा इससे जनता परिवर्तन के मूड में है.वही 5 साल के विकास कार्य पर ठप्पा लगाइएगी.कांग्रेस का दावा है कि वार्डों में कम से कम 10 पार्षद उनके जीतकर आ रहे हैं. दूसरी ओर भाजपा की बात करें तो भाजपा ने भी कुछ ऐसा ही दावा किया है पार्टी ने कहा कि अजय जायसवाल के रूप में सशक्त और अनुभवी प्रत्याशी का लाभ पार्टी को मिलेगा.बेहतर मैनेजमेंट और एकजुट होकर अंतिम समय तक कार्यकर्ताओं ने पूरी ताकत झोंक दी है ईससे स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष सहित कम से कम 10 वार्डों में अपनी जीत का परचम लहरा रही है. जबकि पहली बार चुनाव मैदान में उतरे को गोगपा के कमल दास परिणाम को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे हैं और उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा से जनता त्रस्त हो चुकी है. पाली तानाखार विस की तरह ही नगर पंचायत पाली में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की विजय हो रही है. पार्टी प्रत्याशी के अपने-अपने दावे हैं. वही आम जनता के बीच में भी कयासों- अटकलो का दौर जारी है. कोई बीजेपी तो कोई कांग्रेस की जीत सुनिश्चित बता रहे हैं. और जीत हार को लेकर दाव लगाए जा रहे हैं. ओवरऑल देखा जाए तो कुछ वार्डो को छोड़ दे तो सभी में जोरदार टक्कर हुई है. अध्यक्ष पद के लिए त्रिकोणी संघर्ष में भी भाजपा, कांग्रेस के बीच आगे निकलने की होड़ स्पष्ट परिलक्षित हो रही है. कांग्रेस के पास संसाधन और पैसे की कमी दिखी है. वही भारतीय जनता पार्टी हमेशा की तरह सिस्टमैटिक ढंग से और विशेष कर अंतिम समय में जो मैनेजमेंट दिखाया है वह इस चुनाव में कितना असरदार साबित होगा या सावित्री को मिली सहानुभूति वोट मे तब्दील होगी. इसे लेकर चर्चा का दौर जारी है. सामाजिक वोटों का ध्रुवीकरण हुआ है या बिखराव, दो निर्दलीय बागी पार्षद प्रत्याशियों ने किसका समीकरण बिगाड़ा है इस पर भी निगाहें टिकी हुई है.