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क्राइमछत्तीसगढ़राजनीति

नगर पंचायत पाली के वार्डों में मचा घमासान,प्रत्याशी लगा रहे पूरा जोर ,कांग्रेस, भाजपा ने झोंकी ताकत, कहीं सीधा तो कहीं त्रिकोणीय संघर्ष।

पाली (आई.बी.एन -24) नगर पंचायत पाली में अध्यक्ष और सभी 15 वार्ड में पार्षद पद के लिए कांग्रेस ,भाजपा सहित निर्दलीय प्रत्याशी पूरा जोर लगा रहे हैं. वार्डों में कहीं सीधा मुकाबला तो कहीं त्रिकोणीय मुकाबला है.
नगर पंचायत पाली में 11 फरवरी को मतदान होना है.नपं पाली का अध्यक्ष पद सामान्य घोषित होने के साथ आमजन उम्मीद जता रहे थे कि सामान्य वर्ग से बड़ी संख्या में उम्मीदवार सामने आयेगे, पार्टियों की अधिकृत घोषणा के पूर्व दावेदारों की लम्बी फेहरिस्त दिख रही थी,लेकिन अब स्थिति य़ह है कि केवल 3 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं और तीनों ही पिछड़ा वर्ग से है.इससे कइयों को मायूस होना पड़ा है. चुनाव प्रचार के लिए अब केवल 3 दिन का समय शेष है. ऐसे में प्रत्याशी प्रत्येक मतदाता के घर तक पहुंच कर डोर टू डोर जनसंपर्क पर ज्यादा जोर लगा रहे हैं. वही पार्टियों के द्वारा कुछ-कुछ वार्डो को जोड़कर रोज रैली और जनसंपर्क किया जा रहा है. नगर के वार्ड, चौक चौराहों पर बैनर पोस्टर, फ्लेक्स, झंडा दिखाई दे रहे हैं. जो चुनावी माहौल में एक अलग प्रतिस्पर्धा को इंगित करता है. इस चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए भाजपा ने जहां अपने पुराने नेता अजय जायसवाल पर भरोसा जताया है. तो वहीं कांग्रेस ने निवर्तमान पार्षद सावित्री श्रीवास को चुनाव मैदान में उतारा है जबकि गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पहली बार चुनाव मैदान में है उसने युवा कमल दास को मौका दिया है. वार्डों में विभिन्न दल के 20 नए प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. वार्ड एक में कांग्रेस के निवर्तमान पार्षद पवन ध्रुव की पत्नी प्रतिभा और भाजपा की ओर से ज्योति उईके आमने-सामने है. वार्ड 2 में अनित पटेल और सनत पटेल दोनों ही नए प्रत्याशी हैं. जबकि वार्ड 3 में निवर्तमान नगर पंचायत अध्यक्ष उमेश चंद्र की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है जिन्हें कांग्रेस के नए नवेले ज्ञानेश्वर साहू से दो-दो हाथ करना पड़ रहा है. वार्ड चार में भाजपा के चंद्रशेखर पटेल का मुकाबला रवि सोनी से है चंद्रशेखर पटेल पूर्व में भी पार्षद रह चुके हैं. रोचक मुकाबला वार्ड पांच में देखने को मिल रहा है. जहां भाजपा के बागी प्रत्याशी सोना ताम्रकार दो बार के लगातार पार्षद तीसरी बार के लिए चुनाव मैदान में है और निर्दलीय फॉर्म भरकर कांग्रेस बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. यहां भाजपा ने संजय छाबड़ा तो कांग्रेस ने गुलाब सिंह बिसेन को प्रत्याशी बनाया है. यही हाल वार्ड नंबर 6 में भी देखने को मिल रहा है.यहां भी भाजपा के बागी महावीर यादव ने निर्दलीय चुनौती पेश कर भाजपा के लखन प्रजापति और कांग्रेस श्याम लाल यादव को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. वार्ड 7 नंबर से कांग्रेस के पुनीराम पटेल और भाजपा के नंदू पटेल आमने-सामने हैं .वहीं वार्ड नंबर आठ में दीप्ति शर्मा और किरण पटेल मे सीधा मुकाबला है. वार्ड नंबर 9 में करण चंदेल- भूपेंद्र कुर्रे के बीच भी सीधी टक्कर है. वार्ड नंबर 10 में कांग्रेस की मोना प्रजापति का मुकाबला भाजपा के पूर्व एल्डर मेन गीता शुक्ला के साथ हो रहा है. वार्ड नंबर 11 में त्रिकोणी मुकाबला है, जहां भाजपा के बागी मुकेश श्रीवास्तव ने ताल ठोक दी है. यहां कांग्रेस से सुल्तान अली और भाजपा के सुनील साहू भी चुनाव मैदान में है. वार्ड नंबर 12 में तूफान सिंह राज और द्वारिका मरावी वार्ड. नंबर 13 में रीमा वर्मा बिना पांडे .वार्ड नंबर 14 में मोनिका जायसवाल- नंदनी जायसवाल को कांग्रेस भाजपा ने अपना अधिकृत उम्मीदवार बनाया है. वार्ड नंबर 15 में सबसे ज्यादा संघर्ष है यहां त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस की आशा समीन पटेल और भाजपा सुनील जायसवाल को गोगपा के रवि मननेवार चुनौती पेश कर रहे हैं.इस तरह से तीन वार्डो में भाजपा के बागी उम्मीदवार पार्टी को नुकसान पहुंचाने के लिए आतुर दिख रहे हैं. पार्टियों द्वारा सामाजिक बैठक लेकर अपना एजेंडा और मतदाताओं को प्राथमिकता बताते हुए नगर विकास के लिए वोट मांग रहे हैं. पिछली सरकार कांग्रेस की थी लेकिन आखिरी चरण में अध्यक्ष सहित कांग्रेस के पांच पार्षदों ने भाजपा प्रवेश कर लिया था. जिससे कांग्रेस के खिलाफ एक एंटीकबंसी दिख रही थी वह काफी हद तक दूर हो गई है,जहाँ कांग्रेस एकजुट होकर प्रचार मे जुटे है ,वही भाजपा मे अंदरूनी खींचतान अब तक दूर नही हो पाया है.परिवारवाद ,गुटबाजी जैसे आरोप पर भाजपा प्रत्याशी की छवि कितना डेमेज कन्ट्रोल कर पाएगी ये देखना रोचक होगा. यदि भाजपा ने अपनी कमजोरी पर जीत पा लिया परिणाम उनके पक्ष में जा सकता है .जबकि कांग्रेस द्वारा 15 साल बनाम 5 साल के विकास को फोकस करते हुए एक बार और मौका देने की अपील किया जा रहा है. यह सही है कि पिछले 5 साल में नगर विकास के करोड रुपए के कार्य हुए हैं. अमूमन लोकसभा, विधानसभा में भाजपा को वोट मिले हैं और इसे एक तरह से भाजपा का गढ़ भी माना जाता है. लेकिन नगरी निकाय चुनाव में जनता स्थानीय मुद्दों को भी तवज्जो देती है. इन सब के बावजूद आखिरी दो दिन दोनों पार्टियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है. जो समय गेम चेंजर के रूप में जाना जाता है. कुल मिलाकर आम जनता चुनाव के खूब लुफ्त उठा रहे हैं और कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी की रैली में शामिल होकर दोनों को अपना समर्थन और आशीर्वाद दे रहे हैं.

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