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क्राइमछत्तीसगढ़

स्वीकृत रेतघाटों से रेत हो रहे पार ,लाखों की राजस्व क्षति रोकने तीसरी आंख से निगरानी की दरकार ,3 साल पूर्व लगे कैमरे हो गए गायब ,क्या सुध लेगी साय सरकार ,जानें कोरबा में स्वीकृत रेत घाट .

कोरबा (IBN-24NEWS) जिले में स्वीकृत रेत घाटों से पूर्णतः अवैध रेत उत्खनन को रोकने खनिज विभाग नाकाम रहा है । स्वीकृत रेत घाटों को तीसरी आंख से निगरानी करने जिला प्रशासन द्वारा 3 साल पूर्व सीसीटीवी कैमरा लगाए जाने की व्यवस्था भी समय के साथ दम तोड़ गई , मौजूदा स्थिति में एक भी रेत घाटों में सीसीटीवी कैमरा नहीं लगाए जा सके। जिसकी वजह से स्वीकृत घाटों से रेत तस्कर रेत चोरी कर शासन को लाखों के राजस्व की क्षति पहुंचा रहे ।

यहां बताना होगा कि जिले में रेत घाटों की ठेका पद्धति समाप्त होने के बाद रेत घाटों के संचालन का अधिकार पंचायतों को दे दिया गया है। खनिज विभाग से प्राप्त दस्तावेज अनुसार जिले में वर्तमान स्थिति में 7 रेत घाट स्वीकृत हैं। इनमें कोरबा तहसील अंतर्गत चुईया एवं कुदुरमाल , कटघोरा तहसील अंतर्गत धवईपुर, बरपाली तहसील अंतर्गत तरदा ,पसान तहसील अंतर्गत दुल्लापुर , सिर्री एवं पोंडी उपरोड़ा तहसील अंतर्गत कुटेशरनगोई में रेत घाट स्वीकृत हैं। कुटेशरनगोई को छोंड़कर सभी जगह सरपंच पट्टेदार हैं कुटेशरनगोई में अरुण सिंघानिया संचालनकर्ता हैं। लेकिन इन सातों रेत घाटों में निगरानी व्यवस्था में ढिलाई की वजह से रेत तस्कर अवैध रेत उत्खनन परिवहन कर शासन को गौण खनिज से मिलने वाले लाखों करोड़ों के राजस्व की क्षति पहुंचा रहे हैं। हाल ही में स्वीकृत रेत घाट के तरदा के पास बड़े पैमाने पर रेत चोरी की तस्वीरें वायरल हुई थीं जिसके बाद जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया था । कलेक्टर ने अवैध रेत उत्खनन परिवहन को रोकने कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए थे।लेकिन प्रशासन के निर्देश के बावजूद रेत घाटों से शत प्रतिशत रेत चोरी को रोकना एक कड़ी चुनोती होगी। इस दिशा में वित्तीय वर्ष 2021 -22 में कांग्रेस शासनकाल में कोरबा की तत्कालीन कलेक्टर रहीं किरण कौशल ने प्रभावी प्रबंध किए थे। उनके निर्देश पर रेत घाटों की तीसरी आंख से निगरानी करने सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे। जिसकी निगरानी व फीडबैक वो स्वयं ले रही थीं,काफी हद तक रेत घाटों से रेत चोरी पर अंकुश लग गया था।लेकिन कलेक्टर बदलते ही सारी व्यवस्थाएं चौपट हो गईं ,रेत घाटों से कैमरे गायब हो गए और रेत तस्करों के लिए रेत चोरी कर शासन को लाखों की राजस्व क्षति पहुंचाने का रास्ता खोल दिया गया । अब सत्ता परिवर्तन के बाद स्वीकृत रेत घाटों में रेत चोरी पर अंकुश लगाने तीसरी आंख से निगरानी की दरकार है ।

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