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बारात आने से पहले आ धमकी महिला बाल विकास की टीम ,बालिका वधू बनने से बची युवती।

0 पोड़ी उपरोड़ा परियोजना के ग्राम लखनपुर ललमटिया पारा में बाल विवाह रोकने में सफल रहा प्रशासन।

कोरबा (आई. बी. एन -24) महिला एवं बाल विकास विभाग की संयुक्त पहल से आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले में एक विवाह के लिए विधिक रूप से नाबालिग युवती बालिका वधू बनने से बच गई । बारात आने से पहले टीम मौके पर पहुंचकर परिजनों को बाल विवाह के दंडात्मक कानूनों से अवगत कराते हुए समझाईश देकर बाल विवाह रुकवाने में सफल रही।

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पोंडी उपरोड़ा परियोजना के अंतिम वनांचल ग्राम लखनपुर के (पुरानी बस्ती ललमटिया पारा )में यादव परिवार में शादी का कार्यक्रम रखा गया था। महिला एवं बाल विकास विभाग को सूचना दी गई कि लड़की नाबालिग है । विश्वस्त सूत्रों से सूचना मिलते ही परियोजना अधिकारी श्रीमती निशा कंवर ने डीपीओ श्रीमती रेणु प्रकाश से सूचना साझा की । डीपीओ रेणु प्रकाश ने तत्काल आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए। सीडीपीओ के नेतृत्व में पर्यवेक्षक स्वाति पैकरा ,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शकुन साहू ,सरपंच जगदीश प्रसाद के साथ शनिवार को संबंधित परिवार में पहुंचे। अधिकारियों को देखकर परिजन सकते में आ गए ।
जहां लड़की की आयु की पुष्टि करने अंकसूची की जांच की गई। लड़की के अंकसूची में उसकी जन्मतिथि 26 .07.2006 अंकित की गई थी। जिसके अनुसार लड़की की आयु 17 वर्ष 8 माह पाया गया। अधिकारियों को देखकर परिजन सकते में आ गए ।अधिकारियों ने परिजनों को युवती के विवाह की निर्धारित आयु 18 वर्ष पूर्ण होने के उपरांत ही विवाह करने की सझाइश दी। लड़के व उसके परिजन को भी समझाईश दी। साथ ही इस विधिक निर्धारित आयु से पूर्व विवाह करने पर बाल विवाह के लिए निर्धारित सजा के प्रावधानों से अवगत कराया । तब जाकर लंबी बहस के बाद परिजन माने। टीम ने शपथ पत्र भरवाकर नियम तोड़ने पर वैद्यानिक कार्यवाई की चेतावनी दी है ।इस तरह प्रशासन बारात आने से पहले बाल विवाह रोकने में सफल रहा।

बाल विवाह पर 2 साल की जेल का है प्रावधान।

देश में बाल विवाह रोकने कड़े कानून बनाए गए हैं । पूरे देश में बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू है। इसके तहत लड़के की 21 साल और लड़की की 18 साल से पहले की शादी को बाल विवाह माना जाता है। तय उम्र से कम आयु में शादी करने व करवाने वालों पर 2 साल की जेल या एक लाख रुपए तक जुर्माना का प्रावधान है। परिस्थितियों के आधार पर दोनों सजा का भी प्रावधान है। यह सजा सभी धर्मों को मानने वालों के लिए सम्पूर्ण देश में लागू है। यहाँ तक कि बाल विवाह कराने वाले पंडित ,पादरी व अन्य लोगों पर भी इतनी ही कठोर दंड का प्रावधान है । शासन -जिला प्रशासन के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग हमेशा उक्त अधिनियम के सम्बन्ध में लोगों में जन जागरूकता फैलाने की दिशा में कार्य करती रहती है।

महिला एवं बाल विकास विभाग सहित पुलिस कर रही जागरूक

जिले में जिस तरह नाबालिग युवक युवतियों के बाल विवाह का मामला सामने आ रहा है। उससे स्पष्ट है कि लोगों में अभी भी विवाह के लिए निर्धारित आयु को लेकर जागरूकता का अभाव है। महिला एवं बाल विकास विभाग पुलिस को सँयुक्त रूप से इस दिशा में संजीदगी से जागरूकता अभियान /कार्यक्रम चलाने की जरूरत है । कोरबा आदिवासी बाहुल्य एवं आँकाक्षी जिला है ,साक्षरता दर भी बेहद कम है। ऐसे में इस तरह के कार्यक्रमों का महत्व और बढ़ जाता है।

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