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आदिवासियों का विशाल भव्य आक्रोश रैली के रूप में मनाया गया विश्व आदिवासी दिवस।

नारायणपुर (आई. बी. एन -24) नारायणपुर में आज विश्व आदिवासी दिवस आक्रोश रैली के रूप में मनाया गया जिसमें जिले भर के आदिवासी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए । बाईक रैली सभा स्थल से होते हुए मुख्य मार्ग से विभिन्न चौक चौराहों से होकर वापस सभा स्थल परेड ग्राउंड पहुंची जहां रानी लक्ष्मीबाई, शहीद वीर गुण्डाधुर, शहीद गेंदसिंह की पूजा अर्चना एवं माल्यार्पण करके दोबारा पैदल आक्रोश रैली निकाली गई जो आश्रम रोड होते हुए जय स्तंभ चौक से होकर वापस सभा स्थल पर पहुंची।

बता दें कि विश्व आदिवासी दिवस प्रतिवर्ष 9 अगस्त को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता रहा है किंतु मणिपुर में हुए घटना को लेकर बस्तर संभाग के आदिवासी समाज के बुद्धिजीवियों एवं सामाजिक पदाधिकारियों ने विचार-विमर्श कर इस वर्ष विश्व आदिवासी दिवस हर्षोल्लास के साथ नहीं मनाने का निर्णय लिया इसलिए इस वर्ष सामान्य रैली के स्थान पर आक्रोश रैली के माध्यम से मणिपुर में हुए घटना एवं अन्य स्थानीय महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर आवाज बुलंद किया गया।

वहीं कुछ युवा ज्यादा ही अक्रोशित दिखे,रैली के दौरान यातायात व्यवस्था संभालते वक्त आमजन के वाहन चाबी छीनते नजर आए।

 

बता दें कि किसी भी संगठन या समाज की रैली के दौरान पुलिस के अलावा समाज के भी कुछ समाजसेवी अपने-अपने व्यवस्था एवं दायित्व का निर्वहन करते हैं वहीं विश्व आदिवासी दिवस के आक्रोश रैली में कुछ समाजसेवी यातायात व्यवस्था संभाल रहे थे एवं रैली के रोड क्रॉस के समय सड़क में आने जाने वाले गाड़ियों को रोकना भी जरूरी हो गया था इसी दौरान कुछ उत्साही युवा आमजन के गाड़ी की चाबी छीनते नजर आए।

विश्व आदिवासी दिवस 9 अगस्त को मनाने में जनजाति समाज में दो मत।

 

ज्ञात हो कि वर्ष 1994 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस दिवस की घोषणा की थी जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व मूल निवासी दिवस मनाने की घोषणा की गई तब भारत में इस विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया गया चूंकि भारत में जनजाति समाज को “आदिवासी” के रूप में स्थापित किया गया है इसलिए यह दिवस जनजाति समाज से स्वतः ही जुड़ गया और इस दिन पर भव्य आयोजन होने लगे।
वहीं जनजाति समाज के कुछ लोगों का कहना है कि 9 अगस्त की तिथि से जनजाति समाज का कोई ऐतिहासिक संबंध नहीं है बल्कि भारत सरकार के द्वारा 10 नवंबर 2021 को घोषणा की गई की प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर को जनजाति गौरव दिवस मनाया जाएगा। इसी तिथि को भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती है जिन्हें देश भर में जनजाति समाज के द्वारा ईश्वर तुल्य समझा जाता है क्योंकि केवल 25 वर्ष की आयु में इन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दे दी थी। अब समाज को दो प्रश्न दिखने लगे हैं कि भगवान बिरसा मुंडा जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी की जयंती भारतीय जनजातियों के लिए गौरव का विषय है? या वो 9 अगस्त की तिथि जिसका भारतीय जनजातियों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई संबंध नहीं?
किंतु अब समाज के अधिकांश लोग जनजाति गौरव दिवस मनाने को तैयार हैं क्योंकि जनजाति समाज की अस्मिता और जनजाति क्रांतिकारियों के बलिदान को सम्मान देते हुए जिस प्रकार से जनजाति गौरव दिवस की घोषणा की गई थी उसके बाद से ही जनजाति समाज में इसे लेकर उत्साह देखा गया है। और पुनः एक बार जल, जंगल, ज़मीन, की स्वयं रक्षक होने की बात कही और पेशा कानून की और ध्यान आकर्षित किया। आदिवासी दिवस के अवसर पर जिलाध्यक्ष ने क्या कहा आइए सुनते हैं।

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