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विधि से संघर्षरत् बालक भी देश का भविष्य: मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट।

कोरबा (आई.बी.एन – 24) नालसा की गाईड लाईन्स के अनुसार कार्यपालक अध्यक्ष राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एक संरक्षण) अधिनियम 2015 के अंतर्गत जिला एवं सत्र न्यायाधीश व अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री डी एल. कटकवार के मार्गदर्शन में विगत दिवस जिला पंचायत के सभागार में किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य सी.डब्ल्यू.सी. सामाजिक कार्यकर्ता एवं अन्य स्टेक होल्डर्स की एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट व प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री कृष्ण कुमार सूर्यवंशी के द्वारा किशोर न्याय अधिनियम के तहत किशोर न्याय से संबंधित कार्य करने वाले स्टेक होल्डरों से कहा कि विधि से संघर्षरत् बालक भी देश का भविष्य है, किशोर न्याय अधिनियम एक संवेदनशील विषय है, बालकांे के साथ-साथ उसके माता-पिता का भी हित इसमें जुड़ा रहता है। इसमें छोटी सी चूक किसी भी बालक के भविष्य को खराब कर सकता है। विधि से संघर्षरत् बालक के प्रकरण में सकरात्मक सोच के साथ जांच की कार्यवाही किया जाए। जिससे विधि से संघर्षरत् बालक को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया जा सके।
इसी प्रकार श्री बृजेश कुमार राय अध्यक्ष किशोर न्याय बोर्ड ने कार्यक्रम में किशोर न्याय अधिनियम की जानकारी देते हुए बोर्ड के कार्य एवं शक्तियों के संबंध में बताया। जिले में नियुक्त विशेष किशोर पुलिस इकाई के द्वारा विधि से संघर्षरत् बालको के प्रकरणों में किशोर न्याय अधिनियम का अक्षरशः पालन किया जाए। उन्होंने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 का मुख्य उददेश्य विधि से संघर्षरत बच्चों एवं देखभाल व संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की बाल मैत्री प्रक्रिया के तहत उनके सर्वाेच्च हित को ध्यान में रखते हुए उनकी समुचित देखरेख, पुनर्वास, संरक्षण उपचार एवं विकास सुनिश्चित करना है। किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत होने वाले विधि से संघर्षरत बालक जिन्हें शासकीय बाल संप्रेक्षण गृह में प्रकरण की जांच लंबित होने की स्थिति में संस्थागत रखा जाता है। ऐसी स्थिति में उनके मानसिक विकास हेतु उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण से जोड़े जाने का प्रयास किया जाए। जिससे वे आगे अपने भविष्य के लिये दूसरांे पर आश्रित न रहकर स्वयं अपना व्यवसाय कर सकें।
श्री प्रदीप येरेवार, डी.एस.पी. मुख्यालय के द्वारा जिले में किशोर न्याय अधिनियम अंतर्गत विशेष किशोर पुलिस इकाई के सदस्यों को समय-समय पर स्वमेय अधिनियम के प्रावधानों की अद्यतन जानकारी लेने हेतु प्रेरित किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम से नवीन प्रावधानों की जानकारी प्राप्त होती है। साथ ही कोई परेशानी आने पर अपने अधिकारी से मार्गदर्शन ले सकते है। जिससे किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों के बेहतरीन पुलिसिंग व्यवस्था किया जा सके।
जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्री गजेन्द्र देव सिंह के द्वारा किशोर न्याय अधिनियम के संबंध में संक्षिप्त में जानकारी देते हुए बताया जिले में बाल अपराध से संबंधित बाल विवाह, बाल श्रम, बाल शोषण, मानव दुर्व्यापार के संबंध में जागरूकता अभियान संचालित हो रहे हैं। जिनके द्वारा विकासखण्ड, नगरीय निकाय एवं एवं ग्राम पंचायत स्तर पर गठित बाल संरक्षण समिति का सतत् संवीक्षा किया जा रहा है। जिससे जिले में किशोर न्याय अधिनियम से संबंधित अपराध में कमी हो रही है।
श्री संदीप कुमार बिसेन विधिक सह परिवीक्षा अधिकारी द्वारा किशोर अधिनियम 2015 के प्रावधानों के संबंध में बताया गया कि किशोर न्याय अधिनियम को बच्चों के देखरेख एवं सुरक्षा को सुनिश्चित किये जाने हेतु दो भाग में विभक्त किया गया है। जिसमे एक में देखरेख एवं संरक्षण वाले बालक आते हैं, जिनके संबंध में कार्यवाही जिले में पदस्थ बालक कल्याण समिति तथा दूसरे भाग में विधि से संघर्षरत् बालक जिनके संबंध में कार्यवाही न्याय बोर्ड के द्वारा किया जाता है। श्री मनीष शर्मा अध्यक्ष बाल कल्याण समिति ने बताया कि समिति के अंतर्गत देखरेख एवं संरक्षण वाले बच्चे हैं, उनकी व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने हेतु उन्हें किशोर न्याय अधिनियम अंतर्गत प्रवर्तकता कार्यक्रम एवं पोषण देखरेख योजना संचालित है। जिसके संबंध में विस्तृत जानकारी कार्यशाला में दी गई।

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