कोरबा (आईबीएन-24) कोरबा जिले के हर छोटे-बड़े शहर नगर में धड़ल्ले से चल रहा है कबाड़ का अवैध कारोबार। बिना लाइसेंस और प्रशासन की अनुमति के बिना भी होता है करोड़ों का कारोबार। इस कारोबार में किसी का नहीं है नियंत्रण, धड़ल्ले से फल-फूल रहा है अवैध कारोबार। छोटे बच्चों को धंधे में लगा कर धकेल रहे अपराध की दुनिया में, जिले में दो दर्जन से अधिक कबाड़ के व्यवसायी हैं। जो साल में करोड़ों का कारोबार करते हैं। जिले में इन दिनों धड़ल्ले से कबाडिय़ों का अवैध कारोबार चल रहा है।
इस व्यवसाय को करने के लिए तो किसी को लाइसेंस की जरूरत होती है और ना ही किसी की अनुमति की आवश्यकता होती है। इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए सिर्फ एक स्टाक रजिस्टर की जरूरत होती है। स्टॉक रजिस्टर में खरीद-बिक्री किए गए समान को दर्ज कर इस व्यवसाय को आसानी से किया जा सकता है। इस व्यवसाय में पुलिस और प्रशासन का कोई रोक-टोक नहीं होता है। मजेदार बात यह कि कोरबा जिले में दो दर्जन से भी अधिक कबाड़ के व्यवसायी हैं। जो बेरोक-टोक बेखौफ कारोबार कर रहे हैं। इन पर किसी का नियंत्रण नहीं होने से जिले में दिन दिन कबाडिय़ों की संख्या में बढ़ती जा रही है। कबाड़ी बिना सत्यापन के साइकिल, मोटरसाइकिल एवं अन्य चोरियों के समाना को बेधड़क खरीद रहे हैं। इस व्यवसाय में जिले के बाहर से आए लोग सक्रिय हैं। उनके द्वारा ही कोरबा जिले में इस व्यवसाय को बढ़ावा दिया जा रहा है। आलम यह है कि पुलिस कबाडिय़ों पर नकेल नहीं कस पा रही है। कभी कभार ऐसे लोगों पर कार्रवाई कर औपचारिकता पूरी की जाती है। जिले में अक्सर सोलर प्लेट, साइकिल बाइक चोरी की घटनाएं होती रहती हैं। दिन-दहाड़े सार्वजनिक स्थानों से साइकिल और बाइक चोरी हो रहीं हैं। साइकिल चोरी होने पर अमूमन लोग थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराते, क्योंकि पुलिस इसे छोटा मामला बताकर ध्यान नहीं देती। बाइक और साइकिल चोरी की रिपोर्ट तो लिखी जाती है, लेकिन अक्सर ये वापस नहीं मिलते। इसका कारण यह है कि चोरी की साइकिल और बाइक के कलपुर्जे को अलग-अलग कर कबाड़ में बेच दिया जाता है। इसके अलावा इस धंधे में लोहे के सामान घरेलू उपयोग के सामान सहित कई कीमती समान पानी के मोल कबाड़ी अपने दलालों के माध्यम से खरीद कर करोड़ोंं कमाते है , कोरबा शहर में कबाड़ के बड़े अवैध कारोबारियों को छूट मिली हुई है। जिनका नाम बड़े कबाड़ संचालकों में आता है वे मजे से अपना काम खुलेआम कर रहे हैं। इनका हर रोज का लाखों का काम है। बड़े कबाड़ दुकानों में हर रोज बड़ी मात्रा में चोरी का लोहा, बाइक व अन्य सामान खप रहे हैं। जिले में शहर के पुलिस थानों के करीब ही ऐसे कई दुकान है जो सड़क पर फैले हुए हैं। इनकी वजह लोगों को आने-जाने में परेशानियां हो रही है। इनके पास चोरी का माल आता है। सबकुछ पुलिस की मिलीभगत से चलने के कारण इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती।
जिसके कारण चोर लोहे, तांबे और प्लस्टिक के सामानों को चुराकर कबाडिय़ों को बेच देते हैं। शहर में ही सार्वजनिक जगहों में लगे लोहे की चीजों विद्युत खंभे को काटकर क्षति पहुंचाया जा रहा है। इस समय जिले में कबाड़ी अपने अवैध कारोबार को खूब फैला रखें हैं, उनके इस कार्य में अंकुश न लगने पर ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस प्रशासन की अंदरूनी सहमति मिली हुई है। यही कारण है कि पुलिस के नाक के नीचे कबाड़ी धड़ल्ले से काम को अंजाम देतेे हैं। ज्यादातर कबाड़ी शहरी एवं कस्बाई क्षेत्रों के आसपास सक्रिय है। इनके खेल को रात के समय क्षेत्रों में देखा जा सकता है जहां चोरी के कीमती सामानों को लाकर कबाडिय़ों को सौंपा जाता है। कुछ चोर सीमावर्ती क्षेत्रों से काफी अधिक मात्रा में और मंहगा स्क्रैप लाया जाता है। एक अनुमान के मुताबिक तॉंबे के तार की कीमत लगभग 800 रूपए किलो होती है।
चोर और शराबी प्रवृति के लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बीएसएनएल के वायरों एवं केबिल को उखाडक़र लाते हैं और आधी कीमत पर कबाडिय़ों को बेंच देते हैं। वहीं पुलिस द्वारा इनके खिलाफ कोई बड़ी कार्यवाही नहीं की जा रही जिससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इन्हे मौन सहमति मिली हुुई है। इस कार्य से राजस्व को हर महीने लाखों का चूना लग रहा है साथ ही जिन उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक जगहों पर निर्माण कार्य कराया जाता है वो पूरा नहीं हो पाता और उसका रूप विकृत होने के साथ ही वो उपयोगहीन साबित हो जाता है।