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छत्तीसगढ़राजनीति

रोजगार, मुआवजा, बसाहट, वैकल्पिक रोजगार एवं अन्य समस्याओं के संबंध में कोरबा सांसद मा. ज्योत्सना महंत से मुलाकात कर चर्चा की ।

कोरबा (आईबीएन-24) ऊर्जाधानी भू विस्थापित किसान कल्याण समिति ने कोरबा जिले में स्थित एस ई सी एल के चारो परियोजना गेवरा, कुसमुंडा, दीपका, कोरबा से प्रभावित किसानों के रोजगार, मुआवजा, बसाहट, वैकल्पिक रोजगार एवम अन्य समस्याओं के संबंध में कोरबा सांसद माननीया ज्योत्सना महंत जी से मुलाकात कर चर्चा की । कोरबा जिले के एसईसीएल प्रभावित किसान पिछले लगभग कई वर्षों से रोजगार, मुआवजा, पुनर्वास, पेयजल, ब्लास्टिंग एवं अन्य समस्याओं से जूझते आ रहे हैं इन समस्याओं के निदान हेतु कभी भी प्रबंधन गंभीर नहीं रहा है, परिणाम स्वरूप आज समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। किसके कारण किसान अपने समस्याओं के निराकरण के लिए यहां वहां भागदौड़ कर रहे हैं। कोल इंडिया लिमिटेड में आठ कंपनियां कार्यरत हैं। इन आठ कंपनियों में अर्जित किसानों के लिए रोजगार के नियम अलग-अलग हैं।

संगठन ने सांसद महोदया को अवगत कराया कि पुराने रोजगार के प्रकरण जिनका अर्जन 1978 के बाद किया गया है। आज तक बहुत से प्रकरणों में रोजगार प्रदान नहीं किया गया है रोजगार के लिए विस्थापित कई दशक से चक्कर काट रहे हैं एवं चक्कर काटते काटते उम्र दराज हो गए हैं। इस स्थिति में अपने पुत्र के लिए रोजगार की मांग करने पर अर्जन के बाद जन्म होने का हवाला देकर रोजगार के लिए अपात्र बताया जा रहा है। ऐसे प्रकरण जिसमें कोई समस्याएं नहीं है उनमें भी कार्यवाही नहीं की जा रही है। वर्ष 2000 के बाद हुए नए अर्जन में सीआईएल पॉलिसी 2012 लागू करने से अधिकांश छोटे मूल निवासियों को रोजगार प्राप्त नहीं हो रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य की अपनी एक आदर्श पुनर्वास नीति है। स्टेट के अर्जन में इस नीति के तहत रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। सीएसईबी के द्वारा अर्जित जमीनों में छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति के तहत रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है। एसईसीएल छतीसगढ़ की पुनर्वास नीति को कमजोर बताते हुए जिला पुर्नवास समिति में कोल इंडिया पालिसी को लागू कराने सफल हो गया। आंशिक अधिग्रहण की समस्या से अवगत कराया गया कि किस्तों में जमीन का अधिग्रहण होने से किसान रोजगार से वंचित हो रहे हैं। ग्रामीण आंशिक अधिग्रहण का शुरू से विरोध करते आ रहे हैं एवं प्रबंधन के अधिकारियों से कई बार लिखित और मौखिक में निवेदन कर चुके हैं। इसके दिलहरन दास उपरांत भी प्रबंधन के अधिकारी आंशिक अधिग्रहण में लगे हुए हैं, गेवरा परियोजना में ग्राम रलिया, भिलाईबाजार एवम बरभाठा का आंशिक अधिग्रहण किया गया है । इन ग्रामों के ग्रामीण आंशिक अधिग्रहण से बहुत परेशान हैं। पुर्नवास की भी समस्या से ग्रामीण अत्यंत परेशान है। एसईसीएल विस्थापित होने वाले ग्रामों के लिए पुनर्वास की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है। जहां पुनर्वास दिया गया है उन ग्रामों में भी मूलभूत समस्याएं

बनी हुई है । खनिज न्यास की राशि का लाभ प्रत्यक्ष प्रभावित परिवार को नहीं मिल रहा है । प्रत्यक्ष प्रभावित परिवार के शासकीय संस्थानों में शिक्षारत् छात्रों के शिक्षण शुल्क का भुगतान खनिज न्यास किया जाना है। आवेदन करने के उपरांत लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है । जिनको लाभ मिल रहा था उसे भी रोक दिया गया है। समस्याओं का अंबार सुनने के बाद सांसद महोदया ने अपनी अगुवाई में त्रिपक्षीय बैठक आयोजित कर निराकरण करने का आश्वासन दिया है, जिसमें एसईसीएल प्रबंधन के अधिकारी, बिलासपुर के वरिष्ट अधिकारी एवम प्रशासन के अधिकारी उपस्थिति रहेंगे । विस्थापितों की सभी समस्याओं का इस बैठक में चर्चा उपरांत निराकरण किया जाएगा। कोरबा के महापौर राज किशोर प्रसाद आयोग के अध्यक्ष हरीश परसाई भी उपस्थित थे यह बैठक शीघ्र किया जाना है। सांसद महोदया से मुलाकात के दौरान कोर कमेटी सदस्य रमेश कुमार राठौर, ब्रजेश श्रीवास, खोडरी सरपंच प्रताप सिंह, दीपक यादव, विजयपाल तवर, कृष्ण कुमार गांधी, मंजीत यादव, नरेंद्र राठौर, गनपत सिंह, जोगी राम, अशोक पटेल, सुरेंद्र कुमार, कुमार दास घासीराम कमरों, सालिकराम, दयाराम, विष्णु कुमार, दशरथ सिंह, सती सिंह, दिलहरण दास, गोपाल सिंह, देवेंद्र तंवर, सुदामा पांडेय, दीपेश पटेल सहित भारी संख्या में भूविस्थापित उपस्थित थे ।

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