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मोरगा : नया कानून को लेकर चौकी मोरगा में आयोजित हुई बैठक…प्रभारी नवीन पटेल ने नए कानून की दी जानकारी।

संवाददाता : हजरत खान की खास खबर।

मोरगा (आई.बी.एन -24) कोरबा जिला के बांगो थाना अंतर्गत चौकी मोरगा में प्रभारी नवीन पटेल ने नए कानून में किये गए संशोधन व नवीन धाराओं के सामील होने की जानकारी ग्रामीणों जनप्रतिनिधियों को दी,इन्होंने बताया कि पिछले कानूनों में बदलाव करते हुए देश मे तीन नए कानून लागू (New India Law) हो गए हैं। जिनमें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), भारतीय न्याय संहिता (BNS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) शामिल हैं। इन तीनों कानून को नए सिरे से लाया गया है। पुराने कानूनों की अपेक्षा इनमें कुछ बदलाव किए गए हैं। कुल पुरानी धाराएं हटाई गई हैं तो कुछ नई धाराएं जोड़ी गई हैं। जिसके चलते कानूनी प्रक्रिया में बदलाव आएगा।


भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के होंगे ये बदलाव
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ने भारतीय दंड संहिता की जगह ली है। इसके तहत कई बड़े और अहम बदलाव किए गए हैं. भारतीय दंड संहिता में 484 धाराएं थीं, जबकि एक कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में धाराओं की संख्या 531 तक पहुंच गई है, इसके साथ ही भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में किसी भी अपराध की अधिकतम सजा काट चुके कैदी को प्राइवेट बॉन्ड पर रिहा करने की व्यवस्था की गई है,

नए कानून के तहत किसी भी सरकारी अधिकारी पर मुकदमा चलाने के लिए संबंधित विभाग 120 दिनों के भीतर अनुमति देगा, अगर विभाग या अथॉरिटी अनुमति नहीं देगा तो इसे भी एक्शन माना जाएगा, नए कानून में एक बड़ा बदलाव यह किया गया है कि कोई भी नागरिक किसी भी थाने में जीरो एफआईआर दर्ज करा सकेगा, इसके बाद मामले को 15 दिनों के भीतर मूल ज्यूरिडिक्शन यानी जहां अपराध हुआ है, वहां ट्रांसफर करना होगा।

FIR दर्ज करने के 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दायर करनी जरूरी होगी और चार्जशीट दायर होने के 60 दिनों के भीतर अदालत को आरोप तय करने होंगे, इसके अलावा किसी भी केस की सुनवाई के 30 दिनों के भीतर अदालत को फैसला देना होगा और फैसले की कॉपी सात दिनों के अंदर उपलब्ध करानी होगी।

अब किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लेने के बाद पुलिस को उसके परिजनों को ऑनलाइन, ऑफलाइन या लिखित सूचना देनी होगी, वहीं महिलाओं के मामले में यदि कोई महिला सिपाही थाने में है तो उसकी मौजूदगी में ही पीड़ित महिला का बयान दर्ज करना होगा, इसके अलावा ट्रायल के दौरान गवाहों के बयान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी दर्ज किए जा सकेंगे, सबसे खास बात यह है कि वर्ष 2027 से पहले देश के सारे कोर्ट कंप्यूटरीकृत कर दिए जाएंगे।

इतनी धाराओं में हुआ संशोधन
भारतीय दंड संहिता की जगह लाए गए नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में कुल 531 धाराएं हैं, जिनमें से 177 प्रावधानों में संशोधन किया गया है,वहीं 14 ऐसी धाराएं भी हैं जिन्हें खत्म कर दिया गया है,नए कानून में 9 नई धाराएं और 39 नई उप धाराएं जोड़ी गई हैं।

एविडेंस एक्ट में हुए ये बदलाव
इंडियन एविडेंस एक्ट को बदलकर भारतीय साक्ष्य अधिनियम कर दिया गया है, पहले इस एक्ट में 167 धाराएं थीं,अब नए कानून में धाराओं की संख्या बढ़कर 170 हो गई है,नए अधिनियम में दो नई धाराएं और 6 नई उप धाराएं जोड़ी गई हैं, जबकि 6 धाराएं हटा दी गई हैं, नए कानून के तहत दस्तावेजों की तरह ही इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी मान्य होंगे, इनमें ईमेल, मोबाइल फोन, इंटरनेट आदि शामिल हैं। इसके साथ ही इसमें गवाहों के लिए सुरक्षा के प्रावधान भी किए गए हैं।

भारतीय न्याय संहिता के तहत हुए ये बदलाव
इंडियन पीनल कोड यानी भारतीय दंड संहिता की जगह अब भारतीय न्याय संहिता लाया गया है, इस धाराएं कम हो गई हैं, पिछले कानून यानी आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि भारतीय न्याय संहिता (BNS) में 357 धाराएं ही हैं, इन तीनों कानून को लागू करने का उद्देश्य न्याय दिलाना है।

BNS में अपराधों के लिए ये है व्यवस्था
महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध: नए कानून के तहत महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध के मामले को धारा 63 से 99 की बीच रखा गया है, रेप या बलात्कार के लिए धारा 63, दुष्कर्म के सजा के लिए धारा 64, सामूहिक बलात्कार या गैंगरेप के लिए धारा 70 और यौन उत्पीड़न को धारा 74 में परिभाषित किया गया है, नाबालिग से रेप या गैंगरेप मामले में अधिकतम सजा फांसी का प्रावधान किया गया है।

वहीं दहेज हत्या और दहेज प्रताड़ना के मामलों को क्रमशः धारा 79 और 84 में बताया गया है, इसके अलावा शादी का वादा कर दुषकर्म करने वाले अपराध को रेप से अलग रखा गया है, इसे अलग अपराध के रूप में परिभाषित किया गया है।

वैवाहिक बलात्कार के लिए ये व्यवस्था: वैवाहिक मामलों में पत्नी की उम्र 18 वर्ष से अधिक होने पर जबरन शारीरिक संबंध बनाने पर इस अपराध को रेप या मैरिटल रेप नहीं माना जाएगा। यदि कोई शादी का वादा कर संबंध बनाता है और फिर वादा पूरा नहीं करता है तो ऐसे मामलों में अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है।

हत्या के मामलों में: मॉब लिंचिंग को भी अब हत्या के अपराध के दायरे में लाया गया है, नए कानून में हत्या के अपराध के लिए 7 साल की कैद, आजीवन कारावास और फांसी की सजा का प्रावधान है, वहीं चोट पहुंचाने के अपराधों के बारे में धारा 100 से 146 तक परिभाषित किया गया है, हत्या के मामले में सजा का प्रावधान धारा 103 में है, वहीं संगठित अपराधों के मामले में धारा 111 में सजा का प्रावधान है, वहीं आतंकवाद के मामलों को धारा 113 में परिभाषित किया गया है।

राजद्रोह: नए कानून में राजद्रोह के मामलों के लिए अलग से धारा नहीं दी गई है, जबकि इससे पहले आईपीसी में राजद्रोह कानून का जिक्र है, बीएनएस में राजद्रोह से जुड़े मामलों के लिए धारा 147 से 158 तक में जानकारी दी गई है, इसमें दोषी व्यक्ति को उम्रकैद और फांसी जैसी सजा का प्रावधान है।

मानसिक स्वास्थ्य: नए कानूनों में किसी भी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाना क्रूरता माना गया है, इस अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को 3 साल की सजा का प्रावधान है।

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