कोरबा,बिलासपुर,जांजगीर सहित प्रदेशभर से 1100 भक्त हुएधार्मिक यात्रा में शामिल, चांपा सेवा संस्थान के नेतृत्व वाली यात्रा में एक हिल स्टेशन,चार ज्योतिर्लिंग और एक धाम दर्शन में शामिल।
कोरबा (आई.बी.एन-24) चांपा सेवा संस्थान द्वारा लगातार 16 वर्षों से धार्मिक यात्रा का आयोजन करते हुए देश के प्रमुख और प्रसिद्ध धार्मिक एवम पर्यटक स्थलों का दर्शन करवाते आ रही है, इस वर्ष भी सावन महीने में धार्मिक यात्रा आयोजित की गई 09 दिवसीय यह यात्रा 30 जून को प्रारंभ हुई जो 02 जुलाई को अपने पहले पड़ाव माउंट आबू पहुंची जहां के विभिन्न पर्यटक स्थल का यात्रियों ने लुप्त उठाया, यात्रा 03 जुलाई को द्वारका पहुंची जहां पर सभी यात्री गोमती नदी में स्नान कर भगवान द्वारिकाधीश के दर्शन लाभ प्राप्त किए जिसके बाद भेंट द्वारका और नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के भी दर्शन हुए, यात्रा 4 जुलाई को सोमनाथ पहुंची जहां सावन के पहले दिन भगवान सोमनाथ दर्शन के साथ साथ सोमनाथ स्थित अन्य अतिमहत्वपूर्ण दर्शनिक स्थलों के दर्शन भी हुए, 06 व 07 जुलाई को उज्जैन में भगवान महाकाल दर्शन उज्जैन भ्रमण और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन हुए जिसके बाद 08 जुलाई को सभी यात्री अपने घर पहुंचे।
चांपा सेवा संस्थान का मिनट टू मिनट व्यवस्था
चांपा सेवा संस्थान द्वारा इस 09 दिवसीय यात्रा हेतु सहयोग राशि स्लीपर हेतु 10 हजार और एसी कोच हेतु 15 हजार रु प्रति यात्री निर्धारित की गई थी, यात्रा के द्वारा सम्पूर्ण व्यवस्था समिति की रही, समिति के सदस्य ट्रेन में उपस्थित सभी यात्रियों के छोटी से छोटी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए हर व्यवस्था समय में उपलब्ध कराती रही,नाश्ता खाना की अगर क्वालिटी की बात करें तो घर से भी बेहतर भोजन यात्रा के दौरान वितरण किया गया, समय में चाय,नाश्ता,भोजन,भोजन के बाद मीठा वितरण करना,हर सीट पर बिस्लेरी पानी की व्यवस्था पेपर शॉप,जरूरत का सामान रखने कैरीबैग की उपलब्धता साथ ही यात्रा जिस स्टेशन में रुकती थी वहां आगे जाने के लिए पहले से बस,ऑटो,मिनी बस जैसी सुविधाएं पहले से उपलब्ध होती थी और जहां ठहरना हो वहां धर्मशाला आदि।
यात्रा के दौरान ट्रेन में यह रही आकर्षण का केंद्र।
ट्रेन की प्रत्येक बोगी में समिति द्वारा 3-3 लोग उपलब्ध कराए गए थे जो यात्रियों की जरूरतों का ध्यान रखते थे,यात्रा शुरू होते ही समिति के भाई बहनों द्वारा सभी यात्रियों को तिलक लगाया गया साथ ही गमछा और श्री फल भेंट स्वरूप दिया गया,सभी बोगी में साउंड की व्यवस्था थी जिसके माध्यम से सुबह शाम आरती होती थी साथ ही सूचना भी इसी मध्यम से यात्रियों तक पहुंचाई जाती थी,ट्रेन जहां रुकती थी वहां पालकी यात्रा निकालना,ट्रेन में नौ दुर्गा,भोले बाबा की बारात,हनुमान जी झांकी निकाली जाती थी जो यात्रा को रोचक बना देती थी, यात्रा के दौरान सहयात्री भजन करते रहते थे तो समिति के लोग भी बीच बीच में साउंड बॉक्स के साथ भजन गाते व नृत्य करते यात्रियों के बीच पहुंच जाते यात्रा कर रहे यात्रियों के अनुसार निश्चित ही यात्रा एक दिव्य यात्रा थी, यात्रा के अंतिम पड़ाव में सभी यात्रियों को महाकाल अंकित सिक्का भेंट स्वरूप प्रदान किया गया।